भिक्षू-भिक्षू-भिक्षू म्हारी आत्मा | Bhikshu Bhikshu Mhari Aatma
Anup Jalota
Stavan
Lyrics of Bhikshu Bhikshu Mhari Aatma by Stavan.co
जद-जद भीड़ पड़ी भगतां में तो,
स्वामीजी रो शरणो, आडो आयो जी ओ ।।
भिक्षू-भिक्षू-भिक्षू म्हारी आत्मा पुकारे
भिक्षु रो म्है साचो परचो पायो जी ओ । (2)
शोभजी श्रावक नै नाथद्वारा जेल में ।
सदेह दसरण देण भिक्षू आया जीओ ।
ऊठतां तड़ाक बेड़यां टूट दूरी पड़गी,
तो देख सारा इचरज पाया जी ओ ।।
स्वामीजी नै सिंवरया जद जोधपुर दरबार में ।
पटवोजी पूरी बाजी लेग्या जी ओ,
रूपांजी रो खोड़ो टूट्यो रावळिया रे रावळै
राजी राजी घर का दीक्षा देग्या जी ओ ।।
धगधगता खीरा बरस्या बीदासर में,
होग्या सै बैहोश संत बाकी जी ओ ।
जयाचार्य तन्मय स्तवना सुणाई,
मुणिन्द मोरा ढाळ आज साखी जी ओ ।।
जब्बलपुर जांवतां चम्पक मुनि नै,
शेर दो बबरची मिलग्या जी ओ ।
भिक्षु-स्वाम भिक्षु-स्वाम नाम सहज्यां निकल्यो,
बीस हाथ शेर दूर टळग्यां जी ओ ।।
स्वामीजी री ओट ली जसोल वाला मानजी,
तो काळियै रो जहर उतरग्यो जी ओ ।
जंतर-मंतर झाड़ा-झपटा सारा उत्तर दे दिया,
पर स्वामीजी रो नाम काम करग्यो जी ओ ।।
बोरावड़ रा ठाकरां पर सेना चढ़ आई,
मघवागणी शरणा सुणाया जी ओ ।
कोट स्यूं उतरती फोजां देखी अणगिणती,
भागता कुचामण पाछा आया जी ओ ।।
एक के अनेक छेक देखल्यो थे परचा,
डूबतां री नाव कांठे आई जी ओ ।
बारे बारे फिरै पड़ी बीच में तिजूरी,
डाकुआं री आंख्यां चुंधियाई जी ओ ।।
रात नै विरात नै एकलो के दोकलो,
जद जद डर भय लागै जी ओ ।
स्वामीजी रो नाम लियां खड़या हुवै रूंगटा,
आतमा मैं पौरुष जागै जी ओ ।।
दीपां रो दुलारो प्यारो हार हिया रो,
संकट मोचन हारो अजमाल्यो जी ओ ।
अपणो जाण वत्सलता स्यूं सावळ बुचकार कर,
चम्पक नै एकरस्यां हियै लगाल्यो जी ओ ।।
© Terapanth Community
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