भक्तामर स्त्रोत श्लोक 45 (27 बार) | Bhaktamar Shloak 45 (27 times)
Lata Mangeshkar
Stotra
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Lyrics of Bhaktamar Shloak 45 (27 times) by Stavan.co
उद्भूत-भीषण-जलोदर-भार-भुग्नाः,
शोच्यां दशा-मुपगताश्-च्युत-जीविताशाः ।
त्वत्पाद-पंकज-रजोमृतदिग्ध-देहाः,
मर्त्या भवंति मकर-ध्वज-तुल्य-रूपाः ॥45॥
© Stavan.co
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