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Dharam Jineshwar Bhang Ma Padsho Re Preet

धर्म जिनेश्वर भंग म पड़शो रे प्रीत | Dharam Jineshwar Bhang Ma Padsho Re Preet

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Lyrics of Dharam Jineshwar Bhang Ma Padsho Re Preet by Stavan.co

जिनेश्वर भंग म पड़शो रे प्रीत,

जिनेश्वर भंग म पड़शो रे प्रीत,

धर्म जिनेश्वर गाऊं रंगशूं,

भंग म पड़शो रे प्रीत;

बीजो मनमंदिर आणूं नहीं रे,

ए अम कुलवत रीत। जिने... ||1||


धर्म कर्म करता जग सहु फिरे,

धर्म न जाने रे मर्म;

धर्म धरम करता जग सहु फिरे,

धर्म न जाने रे मर्म;

धर्म जिनेश्वर चरण ग्रह्या पच्छी,

कोई न बांधे रे कर्म। जिने... ||2||


प्रवचन अंजन जो सद्गुरु करे,

देखे परमनिधान;

प्रवचन अंजन जो सद्गुरु करे,

देखे परमनिधान;

हृदय नयन निहाळे जगधणी,

महिमा मेरु समान। जिने... ||3||


दोड़त दौड़त दौड़त दौड़ियो,

जेती मननी रे दौड़;

दोड़त दौड़त दौड़त दौड़ियो,

जेती मननी रे दौड़;

प्रेम प्रतीत विचारो टुंकड़ी,

गुरु-गम लेजो रे जोड़। जिने... ||4||


एक पखी केम प्रीति परवडे?

उभय मिल्या रेय संघ;

एक पखी केम प्रीति परवडे?

उभय मिल्या रेय संघ;

हूं रागी हूं मोहे फंदियो,

तू निरागी निर्बंध। जिने... ||5||


परम निधन प्रगट मुख आगेले,

जगत उल्लंघी रे जाए;

परम निधन प्रगट मुख आगेले,

जगत उल्लंघी रे जाए;

ज्योति बिना जुवो जगदीशनी,

अंधो अंध पुलाय। जिने... ||6||


निर्मल गुणमणि रोहण भूधरा,

मुनिजन मानस हंस;

निर्मल गुणमणि रोहण भूधरा,

मुनिजन मानस हंस;

धन्य ते नगरी धन्य बेला घड़ी,

मातपिता कुल वंश। जिने... ||7||


मन मधुकर वर करजोड़ि कहे,

पदकज निकट निवास;

मन मधुकर वर करजोड़ि कहे,

पदकज निकट निवास;

घननामी आनंदघन सांभळो,

ए सेवक अरदास। जिने... ||8||

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