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Jag Chintamani Jag Guru

जगचिंतामणि जगगुरु | Jag Chintamani Jag Guru

Jaydeep Swadia

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Lyrics of Jag Chintamani Jag Guru by Stavan.co

जगचिंतामणि जगगुरु, जगत शरण आधार;

अढार कोडाकोडी सागरे, धरम चलावणहार…


अषाढ वदि चोथें प्रभु, स्वर्ग थी लीये अवतार;

चैतर वदि आठम दिने, जनम्या जगदाधार रे…

पांचसे धनुषनी देहडी, सोवन वरण शरीर;

चैतर वदि आठमें लियें, संजम महा वडवीर…

अढार कोडाकोडी… जगचिंतामणि जगगुरु…


लाल रे… लाल रे… लाल रे…


फागण वदि ईग्यारसें, पाम्या पंचम ज्ञान;

महा वदि तेरसे शिव-वर्या, जोग निरोध करी जाण…

चोराशी लाख पूर्वनुं, जिनवर उत्तम आय;

“पद्मविजय” कहे प्रणमतां, वहेलुं शिवसुख थाय…

अढार कोडाकोडी… जगचिंतामणि जगगुरु…


लाल रे… लाल रे… लाल रे…

© Stavan.co

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