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Jai Ho Tapasvi

जय हो तपस्वी | Jai Ho Tapasvi

Vicky D Parekh

Tapasya | Latest | Song

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Lyrics of Jai Ho Tapasvi by Stavan.co

त्याग समर्पण और संयमता (२)

तप हमको सिखलाता है (२)

१३ मास की है जो साधना वर्षीतप कहलाता है

जय हो तपस्वी, जय जय जिनशासनं (२)


अपने मन में धीर धरे जो, तप वो ही कर पाता है (२)

१३ मास की है जो साधना वर्षिताप कहलाता है

जय हो तपस्वी, जय जय जिनशासनं (२)


तप भाव जगे मन में, तो भाग सवार जाएं

तन हो जाएं पावन, मन मंदिर हो जाएं

आदेश्वर जैसे अधीन, जो साधक रख पाएं

हो पुण्य उदय उसका, भवपार उतर जाएं

ले सुरभित चन्दन करो अभिनंदन (२)

तप वीरो की गाथा है

१३ मास की है जो साधना वर्षितप कहलाता है

जय हो तपस्वी जय जय जिनशासनं (२)


आदेश्वर श्रमण बने, प्रण मन में धार लिया

घर घर वो भ्रमण करें आहार का भाव लिया

ना समझा कोई मोल, सबने उपहार दिया

श्रेयांश करें सत्कार ,प्रभु मैं का भाप लिया

इक्षुरस से मौन श्रमण का (२)

पारणा तब हो पता है

आदि प्रभु का यही कठिन तप वर्षीतप कहलाता है

जय हो तपस्वी, जय जय जिनशासनं (२)

© Vicky D Parekh

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