जा संयम पंथे दीक्षार्थी | Ja Sanyam Panthe Diksharthi
Sonu Nigam
Diksha | Bollywood | Stavan
Lyrics of Ja Sanyam Panthe Diksharthi by Stavan.co
जा संयम पंथे दीक्षार्थी. तारो पंथ सदा उजमाल बने,
जंजीर हनी जे कर्मोनी, ते मुक्ति नी वरमाल बने,
होशे होशे तु वेश धरे, ते वेश बने पावनकारी।
उज्वलता एनी खूब वधे, एने भाव थी वंदे संसारी
देवो पण झखे दर्शन ने. तारो एवो दिव्य देदार बने
जा संयम पंथे दीक्षार्थी
जे ज्ञान तमने गुरू ए आप्यते उतरे तारा अंतर मा,
रग रग मा एनो प्रोत बहे,ने प्रगटेतारा वर्तन मा.
तारा ज्ञान दीपक ना तेज थकी, आ दुनिया झाकामाल बने।
जा संयम पंथे दीक्षार्थी
वीतराग तणा वचनो वदती. तारी वाणी अमृत धारा,
कोई मार्ग ढुंटे अंधारे, तारा वेण करे त्या उजवाला,
वैराग्य भरी मधुरी भाषा, तारा संयम नो शणगार बने ।
जा संयम पंथे दीक्षार्थी
जे परिवारे तु आज भले, ते उन्नत हो तुझ नाम थकी,
जीते सोनु तुं प्रेम सदा, तारा स्वार्थ विहोणा काम थकी,
शासन नी घणी शान वधे, ताग एवा शुभ संस्कार वधे ।
जा संयम पंथे दीक्षार्थी
अणगार तणा जे आचारो, अनु पालन दिन रात करे,
ललचावे लाख प्रलोभन सदा, तु धर्म तणो संगीत करे,
संयम नु सांचु आराधन, तारा तरवा नो आधार बने ।
जा संयम पंथे दीक्षार्थी…
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