मंगल भावना (भावना योग) | Mangal Bhavna (Bhavna Yog) Raag 1
श्रीमति तापसी नागराज
Bhavna Yog | Stotra
Lyrics of Mangal Bhavna (Bhavna Yog) Raag 1 by Stavan.co
मंगल - मंगल होय जगत् में, सब मंगलमय होय ।
इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय ।।
कहीं क्लेश का लेश रहे ना, दु:ख कहीं भी होय।
मुन में चिन्ता भय न सतावे, रोग-शोक नहीं होय।।
नहीं बैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय ।
मैत्री प्रेम का भाव रहे नित मन मंगलमय होय ||१||
मंगल - मंगल ......
मन का सब संताप मिटे अरू, अन्तर उज्ज्वल होय।
रागद्वेष औ मोह मिट जावे, आतम् निर्मल होय।।
प्रभु का मंगल गान करें सब, पापों का क्षय होय।
इस जग के हर प्राणी का हर दिन, मंगलमय होय ||१||
मंगल - मंगल ......
गुरु हो मंगल, प्रभु हो मंगल, धर्म सुमंगल होय।
मात-पिता का जीवन मंगल, परिजन मंगल होय।।
जन का मंगल, गण का मंगल, मन का मंगल होय।
राजा-प्रजा सभी का मंगल, धरा धर्ममय होय ||3||
मंगल - मंगल ......
मंगलमय हो प्रात हमारा, रात सुमंगल होय।
जीवन के हर पल हर क्षण की बात सुमंगल होय।।
घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय।
इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय ||४||
मंगल - मंगल ......
दोहा
सब जग में मंगल बढे, टले अमंगल भाव ।
है प्रमाण की भावना सबमें हो सद्-भाव ||
© Muni Shri 108 Praman Sagar Ji
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