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Mela Hai Char Din Ka

मेला है चार दिन का | Mela Hai Char Din Ka

Gyanendra Sharma

Bollywood | Stavan | Adhyatmik

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Lyrics of Mela Hai Char Din Ka by Stavan.co

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।


मल मल के रोज साबुन,

चमका रहा है जिसको,

इत्रों फुलेल से तू,

महका रहा है जिसको,

काया ये ख़ाक होगी,

ये बात ना भूलाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना,

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।


मन है हरी का मंदिर,

इसको निख़ार ले तू,

कर कर के कर्म अच्छे,

जीवन सवार ले तू,

पापो से मन हटा ले,

प्रभु को अगर है पाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना,

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।


एक रोज होगी जर्जर,

कञ्चन सी तेरी काया,

तिनका तलक भी तुझसे,

ना जायेगा हिलाया,

रह जायेगा यही पर,

धन महल और खजाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना,

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।


साथी है दो घड़ी के,

कहता है जिनको अपना,

जग नींद से ओ मुरख,

जग रैन का है सपना,

गाए जा ज्ञान निस दिन,

हरी नाम का तराना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना,

मेला है चार दिन का,

एक रोज सब को जाना,

सामान सौ बरस का,

पल का नहीं ठिकाना।

© Yuki Jain Bhajan Katha

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