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Neminath Saloko

नेमिनाथ सलोको | Neminath Saloko

Girnar | Stotra | Shloka

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Lyrics of Neminath Saloko by Stavan.co

सरस्वती माता तुम पाये लागुं, देव गुरु तणी आज्ञा मांगुं,

जिह्‌वाअग्रे तुं बेसजे आई, वाणी तणी तुं करजे सवाई.. (१)


आघो पाछो कोइ अक्षर थावे, माफ करजो जे दोष कांई नावे,

तगण सगण ने जगणना ठाठ, ते आदे दई गण छे आठ.. (२)


कीया सारा ने कीया निषेध, तेनो न जाणुं उंडारथ भेद,

कविजन आगल मारी शी मति, दोष टालजो माता सरस्वती.. (३)


नेमजी केरो कहीशुं सलोको, एक चित्तेथी सांभळजों लोको,

राणी शिवादेवी समुदर राजा, तस कुल आव्या करवा दिवाजा.. (४)


गर्भे कारतक वद बारशे रह्या, नव मास ने आठ दीन थया,

प्रभुजी जनम्यानी तारीख जाणुं श्रावण सुदी पांचम चित्रा वखाणुं.. (५)


जनम्या तणी तो नोबत वागी, मातापिताने कीधां वडभागी,

तरियां तोरण बांध्या छे बार, भरी मुक्ताफळ वधावे नार.. (६)


अनुक्रमे प्रभुजी मोटेरा थाय, क्रीडा करवाने नेमजी जाय,

सरखे सरखा छे संगाते छोरा, लटके बहुमूला कलगी तोरा.. (७)


रमत करता जाय छे तिहां, दीठी आयुधशाळा छे जिहां,

नेम पुछे छे सांभळो भ्रात, आ ते शुं छे ? कहो तमे वात.. (८)


त्यारे सरखा सहु त्यां वाण, सांभणो नेमजी चतुर सुजाण,

तमारो भाई कृष्णजी कहीए. तेने बांधवा आयुध जोईए.. (९)


शंख चक्र ने गदा ए नाम, बीजो बांधवा घाले नहीं हाम,

एहवो बीजो कोइ बलीयो जो थाय, आवा आयुध तेने बंधाय.. (१०)


नेम कहे छे घालुं हुं हाम, एमां भारे शुं महोटुं काम,

एवुं कहीने शंख ज लीधों, पोते वगाडी नादज कीधो.. (११)


ते टाणे थयो महोटो डमडोळ, सारना नीर चढ्या कल्लोल,

पर्वतनी टुंको पडवाने लागी, हाथी घोडा तो जाय छे भागी.. (१२)


झबकी नारीओ नव लागी वार, तुट्या नवसर मोतीना हार,

धरा ध्रुजी ने मेघ गडगडीओ, महोंटी ईमारतों तूटीने पडीयो.. (१३)


सहुनां कालजां फरवाने लाग्यां, स्त्री पुरुष जाय छे भाग्यां,

कृष्ण बलभद्र करे छे वात, भाई शो थयों आ ते उत्पात.. (१४)


शंख नाद तो बीजे नव थाय, एहवो बलियो ते कोण कहेवाय,

काढो खबर आ ते शुं थयुं, भांग्युं नगर के कोई उगरीयुं.. (१५)


ते टाणे कृष्ण पाम्या वधाई, ए तो तमारो नेमजी भाई,

कृष्ण पुछे छे नेमजी वात, भाई शो कीधो आ तें उत्पात.. (१६)


नेमजी कहे सांभलो हरी, में तो अमस्ती रमत करी,

अतुली बल दीहठुं नानुडे वेषे, कृष्णजी जाणे ए राजने लेशे.. (१७)


त्यारे विचार्युं देव मोरारि, एने परणावुं सुंदर नारी,

त्यारे बल एनुं ओछुं जो थाय, तो तो आपणे अहीं रहेवाय.. (१८)


एवो विचार मनमां आणी, तेड्या लक्ष्मीजी आदे पटराणी,

जलक्रीडा करवा तमे सहु जाओ, नेमने तमे विवाह मनावो.. (१९)


चाली पटराणी सरवे साजे, चालो देवरीया नावाने काजे,

जलक्रीडा करतां बोल्यां रुक्ष्मणी, देवरीया परणों छबीली राणी.. (२०)


वांढा नवि रहीये देवर नगीना, लावो देराणी रंगना भीना,

नारी विना तो दु:ख छे घाटुं कोण राखशे बार उधाडुं.. (२१)


परण्या विना तो केम ज चाले, करी लटकों घरमां कोण माले

चूलो फुंकशो पाणीने गळशो, वेलां मोडां तो भोजन करशो.. (२२)


बारणे जाशों अटकावी ताळुं, आवी असुरा करशो वाळुं,

दीवाबत्तीने कोण ज करशे, लींप्या विना तो उचेरा वळशे.. (२३)


वासण उपर तो नहीं आवे तेज, कोण पाथरशे तमारी सेज,

प्रभाते लुखो खाखरो खाशो देवता लेवा सांजरे जाशो.. (२४)


मननी वातो कोणने कहेवाशे, ते दिन नारीनो ओरतो थाशे,

परोणा आवीने पाछा जाशे, देश विदेशे वातो बहहु थाशे.. (२५)


महोटाना छोरु नानेथी वरीया, मार कह्युं तो मानो देवरीया,

त्यारे सत्यभामा बोल्यां त्यां वाण, सांभळो देवरीया चतुर सुजाण.. (२६)


भाभीनो भरोंसो नाशीने जाशे, परण्या विना कोण पोतानी थाशे,

पहेरी ओढीने आंगणे फरशे, झाझां वानां तो तमने करशे.. (२७)


उंचां मन भाभी केरां केम सहेशो, सुख दु:खनी वात कोण आगळ कहेशो,

माटे परणोने पातळीया राणी, हुं तो नहि आपुं न्हावाने पाणी.. (२८)


वांढा देवरने विश्वासे रहीए, सगां वहालामां हलकां ज थइए,

परण्या विना तो सुख केम थाशे, सगाने घेर गावा कोण जाशे.. (२९)


गणेश वधावा केने मोकलशो, तमें जशों तो शी रीते खलशो,

देराणी केरो पाड जाणीशुं ! छोरु थाशे तो विवा माणीशुं.. (३०)


माटे देवरीया देराणी लावों, अम उपर नथी तमारो दावो,

त्यारे राधिका आघेरां आवी, बोल्यां वचन मोढ़ुं मलकावी.. (३१)


शी शी वातो रे करो छो सखी, नारी परणवी रमत नथी,

कायर पुरुषनुं नथी ए काम, वापरवा जोईए झाझेरा दाम.. (३२)


झांझर नूपुर ने झीणी जवमाळा ! अणघट आटे रुपाळा,

पगपाने झांझी घुघरीओ जोईए, महोटे सांकले घुघरा जोईए.. (३३)


सोना चुडलो गुजरीना घाट, छल्ला अंगुठी अरिसा ठाठ,

घुघरी पोंची ने वांक सोनेरी, चंदन चुडीनी शोभा भलेरी.. (३४)


कल्लां सांकलां उपर सिंहमोरा, मरकत बहुमूला नंग भलेरा,

तुलशी पाटीयां जडाव जोईए, काली कंठीथी मनडुं मोहिए.. (३५)


कांठली सोहीए घुघरीयाळी, मनडुं लोभाये झुंमणुं भाळी,

नवसेरों हार मोतीनी माळा, काने टींटोडा सोनेरी गाळा.. (३६)


मचकणियां जोइए मुल्य झाझांनां, झीणां मोती पण पाणी

ताजांनां, नीलवट टीलडी शोभे बहु सारी, उपर दामणी भूलनी भारी.. (३७)


चीर चुंदडी घरचोळां साडी, पीली पटोली मागशे दहाडी,

बांट चुंदडी कसबी सोहीए, दशरा दीवाली पहेखा जोईए… (३८)


मोंघा मूलना कमखा कहेवाय, एवड़ुं नेमथी पुरुं केम थाय,

माटे परण्यानी पाडे छे नाय, नारीनु पुरुं शी रीते थाय,

त्यारे लक्ष्मीजी बोल्यां पटराणी, दीयरना मननी वातो में जाणी.. (३९)


तमारुं वयण माथे धरीशुं, बेउनुं पुरुं अमे करीशु,

माटे परणो ने अनोपम नारी, तमारो भाई देव मोरारी.. (४०)


बत्रीश हजार नारी छे जेहने, एकनो पाड चडशे तेहने,

माटे हृदय थी फीकर टाळो, काकाजी केरुँ घर अजवाळो.. (४१)


एवुं सांभळी नेम त्यां हसिया, भाभीना बोल हृदय मां वसिया,

त्यां तो कृष्णने दीधी वधाई, निश्चे परणशे तमारो भाई.. (४२)


उग्रसेन राजा घेर छे बेटी, नामे राजुल गुणनी पेटी,

नेमजी केरो विवाह त्यां कीधो, शुभ लग्ननो दिवस लीधो.. (४३)


मंडप मंडाव्या कृष्णजीराय, नेमने नित्य फुलेका थाय,

पीठी चोले ने मानिनी गाय, धवल मंगल अति वरताय.. (४४)


तरीयां तोरण बांध्यां छे बहार, मली गाय छे सोहांगण नार,

जान सजाई करे त्यां सारी, हलबल करे त्यां देव मोरारी.. (४५)


वहुवारु वातो करे छ छाने, नही रहीये घेर ने जाईशुं जाने,

छप्पन करोड जादवनो साथ, भेळा कृष्ण ने बलभद्र भ्रात.. (४६)


चडीया घोडले म्याना असवार, सुखपाल केरी लाघे नहि पार,

गाडां वेलो ने बगीओ बहु जोडी, म्याना गाडीए जोतर्या धोरी.. (४७)


बेठा जादव ते वेढ वांकडीया, सोवन मुगट हिरले जडीया,

कडां पोंचीयों बाजु बंध कशीया, शालों दुशालो ओढे छे रसीया.. (४८)


छप्पन कोटी तो बरोबरीया जाणुं, बीजा जानैया केटला वखाणु,

जानडाओ शोभे बालुडे वेषे, विवेक मोती परोवे केशे.. (४९)


सोल शणगार धरे छे अंगे, लटके अलबेली चाले उमंगे,

लीलावट टीली दामणी चळके, जेम विजळी बादळे चमके.. (५०)


चंद्रवदनी मृगा जो नेणी, सिंहलंकी जेहनी नागसी वेणी,

रथमां बेसी बाळक धवरावे, बीजी पोतानुं चीर समरावे.. (५१)


एम अनुक्रमे नारी छे झाझी, गाय गीता ने थाय छे राजी,

कोई कहे धन्य राजुल अवतार, नेम सरीखोंपामी भरथार.. (५२)


कोई कहे पुण्य नेमनुं भारी, ते थकी मळी छे राजुल नारी,

एम अन्योन्य बाद वदे छे, महोड़ां मलकावी वातो करे छे.. (५३)


कोई कहे अमे जईशुं वहेली, बळदने घी पाईशुं पहेली,

कोई कहे अमारा बलद छे भारी, पहोंची न शके देव मोरारी.. (५४)


एवी बातोना गपोटा चाले, पोत पोताना मगजमां महाले,

बहोंतेर कलाने बुद्धि विशाल, नेमजी नाहीने घरे शणगार.. (५५)


पहेर्या पीताम्बर जरकी जामा, पासे उभा छे नेमना मामा,

माथे मुगट ते हीरले जडियो, बहु मूलो छे कसबीनों घडीयो.. (५६)


भारे कुंडल बहु मूलां मोती, शहेरनी नारी नेमने जोती,

कंठे नवसेरो मोतीनों हार, बांध्या बाजुबंध नव लागी वार.. (५७)


दशे आंगळीये वेढ ने वींटी, झीणी दिसे छे सोनेरी लीटी,

हीरा बहु जडीया पाणीना ताजा, कडां सांकळां पहेरे वरराजा.. (५८)


मोतीनो तोरो मुगटमां झळके, बहु तेजथी कलगी चळके,

राधाए आवीने आंखडी आंजी, बहु डाही छे नव जाय गांजी.. (५९)


कुमकुमनु टीलुं कीधु छे भाले, टपकुं कस्तुरी केरुँ छे गाले,

पान सोपारी श्रीफळ जोडो, भरी पोस ने चडीआ वरघोडे.. (६०)


चडी वरघोडो चउटामां आवे, नगरनी नारी मोतीए वधावे,

वाजां वागे ने नाटारंभ थाय, नेम विवेकी तोरणे जाय.. (६१)


धुंसळ मुसळ ने रवाईओ लाव्या, पोंखवा कारण सासुजी आव्या,

देव विमाने जुए छे चडी, नेम नहि परणे जाशे आ घडी.. (६२)


एवामां कीधो पशुए पोकार, सांभलो अरजी नेम दयाळ,

तमे परणशो चतुर सुजाण, परभाते जाशे पशुओना प्राण.. (६३)


माटें दया मनमां दाखों, आज अमोनें जीवतां राखों,

एवो पशुओनो सुणी पोकार, छोड़ाव्यां पशुओ नेम दयाल.. (६४)


पाछा तो फरिया परण्या ज नहीं, कुंवारी कन्या राजुल रही,

राजुल कहे न सिद्धां काज, दुश्मन थयां छे पशुओ आज.. (६५)


सांभळो सर्वे राजुल कहे छे, हरणीने तिहां ओलंभो दे छे,

चंद्रमाने तें लंछन लगाड्युं, सीतानुं तो हरण कराव्युं.. (६६)


महारी वेळा तो क्यांथी जागी, नजर आगळ जाने तुं भागी,

करे विलाप राजुल राणी, करमनी गति में तो न जाणी.. (६७)


आठ भवनी प्रीतिने ठेली, नवमे भवे कुंवारी मेली,

एवुं नव करीए नेम नगीना, जाणुं छुं मन रंगना भीना.. (६८)


तमारा भाईए रणमां रझळावी, ते तो नारी ठेकाणे नावी,

तमो कुल तो राखो छो धारो, आ फेरे आव्यो तमारो वारो.. (६९)


वरघोड़े चडी महोटो जश लीधो, पाछा वळीने फजेतों कीधो,

आंखो अंजावी पीठी चोलावी, वरघोडे चढ़तां शरम न आवी,

महोटे उपाडे जान बनावी, भाभीओ पासे गाणां गवरावी,

एवा ठाठथी सर्वेने लाव्या, स्त्री पुरुषने भला भमाव्या.. (७०)


चानक लागे तो पाछा ज फरजो, शुभ कारज अमारूुं रे करजो,

पाछा न वळीआ एक ज ध्यान, देवा मांडयुं तिहां वरसी ज दान.. (७१)


दान दईने विचार ज कीधो, श्रावण सुदि छठनुं मुहूरत लीधो,

दीक्षा लीधी त्यां न लागी वार, साथे मुनिवर एक हजार.. (७२)


गिरनारे जईने कारज कीधुं, पंचावन में दिन केवल लीधुं,

पाम्या वधाई राजुल राणी, पीवा न रह्यां चांगलुं पाणी.. (७३)


नेमने जई चरणे लागी, पीयुजी पासे मोज त्यां मागी,

आपो केवल तमारी कहावुं, शुकन जोवाने नहीं जावुं.. (७४)


दीक्षा लईने कारज कीधुं, झटपट पोते केवल लीधुं.

मळ्युं अखंड ए आतमराज, गया शिवसुंदरी जोवाने काज.. (७५)


सुदिनी आठम अषाढ धारी, नेम वरीया शिव वधु नारी,

नेम राजुलनी अखंड गति, वर्णन केम थाये मारी ज मति.. (७६)


यथार्थ कहूं बुद्धि प्रमाणे, बेउंना सुख ते केवली जाणे.

गाशे भणशे ने जे कोई सांभळशे, तेना मनोरथ पुरा ए करशे.. (७७)


सिद्धनुं ध्यान हृदये जे धरशे, ते तो शिववधु निश्चय वरशे,

संवत ओगणीस श्रावण मास, वदनी पांचमनो दिवस खास.. (७८)


बार शुक्र ने चोघडीयुं सारूं, प्रसन्‍न थयुं मनडुं मारुं,

गाम गांगडना राजा रामसिंह, कीधो शलोको मनने उछरंग.. (७९)


महाजनना भाव थकी में कीधो, वांची शलोको मोटो जश लीधो,

देश गुजरात रेवाशी जाणो, विशा श्रीमाली नात प्रमाणो.. (८०)


प्रभुजीनी कृपाथी नवनिधि थाय, बेउ कर जोडी सुरशशी गाय,

नमे देवचंद पण सुरशशी कहीये, बेउनो अर्थ एक ज लईए.. (८१)


देव सूरजने चंद्र छे शशी, विशेषे वाणी हृदयमां वसी,

ब्यासी कडीथी पुरो में कीधों, गाई गवडावी सुयश लीधो.. (८२)

© Antarnad

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