पांपण पाथरी करुं प्रतीक्षा | Papan Pathri Karu Pratiksha
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Diksha | Stavan
Lyrics of Papan Pathri Karu Pratiksha by Stavan.co
पांपण पाथरी करुं प्रतीक्षा, दीक्षा लेवाने काज
नानी उंमरे संसार छोडुं, समजण आवी आज
सुंदर आ दीक्षा जीवन, मळशे क्यारे संयम (२)
पांपण पाथरी…
संसार सागर घोर अपार, आवे नहीं एनो पार
मुरख बनी फरीयो अहींया, डूब्यो छुं हुं वारंवार
करुछुं हवे विचार, क्यारे वरु शिवनार (२)
पांपण पाथरी…
काची पळोमां जीवन जासे, नथी कोई आधार
संयम साधी अनंत तर्या, आनंद अपरंपार
भाव थशे साकार, पछी थशे नैया पार (२)
पांपण पाथरी…
राग-द्वेषथी बंधाय कर्मो, दुःख एनुं चिक्कार
समभावथी भावित थई, करवो रे आत्मोद्धार
तव आज्ञा ज आधार, करवो संयम सत्कार (२)
पांपण पाथरी…
केशनुं लुंचन निर्दोष गोचरी, खुल्ला पगे विहार
कष्टो उत्तम सही सहीने सफळ करुं अवतार
भवथी थवाने पार, करु संयमनो स्वीकार (२)
पांपण पाथरी…
अनाचार थी दुर रहेवा, धारवा पंचाचार
‘जयन्त’ गुरुना सानिध्यमां, भणुं जिनागमसार
भवसागरना सथवार, प्रभु बनशे भव दातार (२)
पांपण पाथरी…
© मधुकर સંસ્કાર GYANAYATAN
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