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Rushabh Dev Hitkari Jagatguru

ऋषभदेव हितकारी जगतगुरु | Rushabh Dev Hitkari Jagatguru

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Lyrics of Rushabh Dev Hitkari Jagatguru by Stavan.co

ऋषभदेव हितकारी.. जगतगुरु! ऋषभदेव हितकारी;

प्रथम तीर्थंकर प्रथम नरेसर, प्रथम यति व्रतधारी। ॥१॥


वरसीदान देई तुम जग में, इलति इति निवारी;

तैसी काहि करत नाही करूणा, साहिब बेर हमारी। ॥२॥


मांगत नहीं हम हाथी घोड़े, धन कन कंचन नारी;

दियो मोहे चरणकमल की सेवा, याहि लागत मोहे प्यारी। ॥३॥


भव लीला वासित सुर डारे, तुम पर सब ही उवारी;

मैं मेरो मन निश्चल कीनो, तुम आणा शिर धारी। ॥४॥


ऐसो साहिब नहि कौउं जग में, याशु होय दिलदारी;

दिल ही दलाल प्रेम के बीचै, तिहां हठ खेंचे गमारी। ॥५॥


तुम हो साहिब मैं हूं बन्दा, या मत दियो विसारी;

श्री नगविजय विबंध सेवर के, तय हो परम उपकारी। ॥६॥

© Jain Stavan Gujarati

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