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Rajoharan Sang Lagi Pritaldi

राजोहरण संग लगी प्रीतलड़ी | Rajoharan Sang Lagi Pritaldi

Jainam Varia

Diksha | Song

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Lyrics of Rajoharan Sang Lagi Pritaldi by Stavan.co

सैयम उपवन, सैयम मधुवन, सैयम से खिले, मुक्ति मेरी,

शिवपद में रमे, मनदु तलेसे, प्रभुना पगले, विरति प्यारी...


भवसागर में मेरी नावलड़ी, गुरु हेम कृपाथी तरि गई,

राजोहरण संग लगी प्रीतलड़ी..(2)

प्रभु करुणा का शुभ धोद बहे, गुरु समता का कोई मोल नहीं,

राजोहरण संग लगी प्रीतलड़ी..(2)


मेरे तात स्नेह दरिया, मेरी मात खोले निंदिया,

तेरे चरणों में अर्पित मेरा आयाखु...

तेरे होंगे आंगन सूने, प्रवल्या के प्रांगण रूदा,

हंसते हंसते आशीष मुझे दे तू...


सुख शाश्वत मुझे मिलनेवाला, आत्मा में प्रकटे उजाला,

विरति मार्ग में शांति को देखूं न्यारा,

अक्षत से बढ़ाऊं अश्रु से, तेरे संस्कारों का मोल नहीं...

राजोहरण संग लगी प्रीतलड़ी..(2)

(भवसागर में मेरी नावलड़ी...)


तेरी मेरी कैसी सगाई, प्रभु को सोने से बढ़ाई,

करूं मेरे संगना वधमानां...

शत-शत नमन मुनिराया, गुरु माता हैं घड़वैय्या,

खोल दिया मुक्ति का दरवाजा... शत

गुरुवर की है मीठी वाणी, नंदी सूत्र गुणों की खानी,

कब आएगी राजोहरण की घड़ी,

ओ अमूल्य प्यारा रत्न, उसकी राजा-राजा का कोई मोल नहीं...

राजोहरण संग लगी प्रीतलड़ी..(2)

(भवसागर में मेरी नावलड़ी...)

© Sunny shah

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