शासन ध्वज वंदन गीत | Shashan Dhwaj Vandan Geet
Jin Shashan | Stavan
Lyrics of Shashan Dhwaj Vandan Geet by Stavan.co
’जैनं जयति शासनं’ की, अलख जगानी जारी है
हे जिन शासन! तूं है मैया, तेरी ही फुलवारी है, वंदे शासनम् जैनम् शासनम्….1
हिमालय सा उत्तुंग है वो, जिनशासन हमारा है,
गंगा सा निर्मल और पावन, जिनशासन हमारा है,
पतितो को भी पावन करता, शासन वो सहारा है,
तारणहारा तारणहार, जिनशासन हमारा है,
देखो भैया नौजवानो, पापों को चिनगारी है. हे जिन शासन…2
रोहिणिया जैसा चोर लुटेरा, उसको तूने तारा था,
अर्जुनमाली सा घोर पापी, उसको भी उगारा था,
क्रोधी विषधर चंडकौशिक को, तूने ही सुधारा था,
कामी रागी स्थूलीभद्र को, तूंने ही स्वीकारा था,
आओ झंडा जिनशासन का, फैलाने की बारी है… हे जिन शासन…3
मिटा देंगे हस्ति उसकी, जो हमसे टकरायेंगा,
अहिंसा की टक्कर में देखो, हिंसा नाम मिट गायेंगा,
गली-गली और गांव गांव में, बच्चा बच्चा गायेंगा,
वीर प्रभुका शासन पाकर, मुक्ति सुख को पायेगा,
दुःखी दुनिया मुक्त बनेगी, शासन की बलिहारी है… हे जिन शासन…4
ना समझो तुम कायर हमको, शेरों के भी शेर हैं,
न्योच्छावर कर देते तन-मन, वीरों के भी वीर हैं,
देव गुरू अपमान कभी ना, सहते हम बलवीर हैं,
प्राण फना हो जाये चाहे, मरने को भडवीर हैं,
जिनशासन का झंडा ऊंचा, लहराओ तैयारी हैं… हे जिन शासन…5
विश्व शांति फैलाने वाला, जैन धर्म हमारा हैं,
शांति मार्ग दिखलाने वाला, जैन धर्म ही प्यारा हैं,
विश्व धर्म कहलाये सो ही, जैन धर्म सितारा हैं,
प्राणी मात्र का चंदा सूरज, जैन धर्म हमारा हैं,
गर्व से कहो दोस्तों मिल हम, जिनशासन पूजारी है… हे जिन शासन…6
सुदी ग्यारस वैशाखमाह की, ध्वजवंदन सब करलो तुम,
मैत्री भाव को दिल में बसाकर, शत्रु भाव मिटाओ तुम,
प्राणी मात्र को गले लगाकर, मुक्ति मार्ग बताओ तुम,
’सूरिगुणरत्न की रश्मि’ पालो, जनम जनम सुख पाओ तुम,
हे जिनशासन! तुझे को वंदन, तेरा ध्वज जयकारी है… हे जिन शासन…7
© Stavan.co
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