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Saiyam Ki Nirmal Dhara

संयम की निर्मल धारा | Saiyam Ki Nirmal Dhara

Hitesh Jaroli

Diksha | Stavan

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Lyrics of Saiyam Ki Nirmal Dhara by Stavan.co

संयम की निर्मल धारा बहती ही जाए तेरी,

आत्म की शुद्ध दशाएं जगती ही जाए तेरी ।।


वीरों के पथ पर चलना यतना में पल पल रमना,

आज्ञा आराधन करना मुक्ति में फिर क्या देरी ।।


कर्मों से युद्ध लड़ना सिद्धि सुमेर चढ़ना,

धीरता रखते वो ही जीत बजाए भैरी ।।


संयम की उमर नहीं है जागे जब भोर वही है,

मोह तम अस्त हुआ है संयम की सुबह सुनहरी ।।


राम की शरणा पाई भव भव में शिवसुख दाई,

शिक्षाएँ बहुश्रुत जी की संयम की रक्षा प्रहरी ।।


संयम का शतक हुआ है श्री संघ का भाग्य जगा है,

भावना बहुश्रुत जी की राम राज की झलक सुनहरी ।।


केसरिया रंग चढ़ा है राजोहरण गुरु से मिला है,

सौभाग्य से पाया तुमने राम नाम पहचान बनाई ।।

© Bhagat Bhakti

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