श्री महाश्रमण चालीसा | Shri Mahashraman Chalisa
Manish Pagariaa
Chalisa
Lyrics of Shri Mahashraman Chalisa by Stavan.co
--- दोहा ---
महिमा गुरु महाश्रमण की,
फेल रही चहुँ ओर।
भूतल मे उतरी नई,
स्वर्ण. सुहानी भोर॥१॥
महाप्रज्ञ वर से मिला,
तेरापथ का ताज।
महाश्रमण जुग जुग तपो,
अंतर की आवाज॥२॥
चालीसा का पाठ नित,
करे सुबह या शाम।
नियमित दिनचर्या बने,
मन पर रहे लगाम॥३॥
---- चोपाई ----
जय जय महाश्रमण गुरु प्यारे,
चार तीर्थ के नयन सितारे-१
माँ नेमा ने जन्म दिया हॆ,
गुरु चरणों उपहार. किया हॆ-२
*झूमरमल जी पिता सहाये,
दूगड कुल के भाग्य जगाये-३
जन्मभूमि सरदार शहर हॆ,
जयाचार्य सर सदा महर हॆ-४
गुरु तुलसी की महर नजर मे,
दिक्षा ली सरदारदशहर मे -५
मुनि सुमेर से संयम पाया,
मानो सुरमणि करके आया-६
ज्ञान, ध्यान,स्वाध्याय निरंतर,
जगमग जगमग बाह् याभ्यन्तर-७
ज्ञाता द्रष्टा,भाव विशुद्धि,
बढती रही मोक्ष की बुद्धि -८
गुरु इंगित आराधना पल-पल,
जीवन गंगा जल सा निर्मल-९
मितभोजी मितभाषी गुरुवर,
उपश्रम अमृत बांटे दिनभर-१०
अप्रमित्त चर्या वरदायी,
सबके लिये प्रेरणादायी-११
विमल विवेक अमल आचारी,
महिमा गाते हॆ नर नारी-१२
गण निष्ठादेखी बचपन मे,
आस्था जागी है जन जन मॆ-१३
दिल्लीमे इतिहास रचाया,
गुरु के दिल मे स्थान जमाया-१४
साझपती-पद ब्यावर पाया,
तुलसी गुरु मन हर्ष सवाया-१५
चन्देरी मे महाश्रमण पद,दर्शक
जन का मानस गद् गद् -१६
महाप्रज्ञ की महिमा न्यारी,
बना दिया निज पट अधिकारी -१७
गंगाशहर धरा का गॊरव,
हुआ जहाँ युवराज महोत्सव -१८
गगन धरा दिग् गुंजे नारे,
महाश्रमण भावी रखवारे-१९
महाप्रज्ञ जब स्वर्ग सिधाये,
एकादशम नाथ कहलाये-२०
पट्टोत्सव का सीन निराला,
नयनो मे भर गया उजाला-२१
गांधीविध्या मंदिर प्रागण,
जन जन हर्षित पुलकित कण कण-२२
पद पा किंचित् गर्व न आया,
विनय रुप दरिया लहराया-२३
सुस्थित बन कर्तव्य. निभाया,
पत्ता भी हिलनेना पाया-२४
स्नेह-नीर से गण तरु सींचा,
खिला खुब यह संघ बगीचा-२५
सहज सरल हे कोमल वाणी,
सुनकर भवजल तेरे प्राणी-२६
अनुकम्पाकी लहर चली हॆ,
मानवताकी पोध. फली हॆ-२७
यात्रा की शुरुवात शुभंकर,
सुयश पताका चढे शिखर पर-२८
नगर केलवा का चोमासा,
जागृत. की सब मे नव आशा-२९
भेक्षव गण का उदग्मस्थल हॆ,
गुरु का चिंतन सदा सफल हॆ-३०
बडे भाग्य से गुरु घर आये,
चरण शरण मंजिल. पहुचाये-३१
पावन चिंतन पावन जीवन,
बोल रहें हॆ सारे धन धन -३२
आकर्षक व्यकतित्व तुम्हारा,
लगता सबको प्यारा प्यारा-३३
गुरु बिन पार लगे ना नैय्या,
सही समझना सबको भेया-३४
गुरु की महर नजर हो जाये,
उजडी बगिया फिर सरसाये-३५
भेक्षव शासन हॆ सॊभागी,
महाश्रमण पा किस्मत जागी-३६
गुरु द्ष्टि जो शिश चढा़ता,
पल मे सिंधुबिंदुबन जाता-३७
जिस पर रहता गुरु का साया,
नर भव पाकर सब कुछ पाया-३८
शम सम श्रम का दो आलंबन,
जीवन मेँ भर ले संजीवन -३९
चालिसा जो दिल से गाये,
रोग शोक दुख निकट न आये-४०
© Manish Pagariaa
Listen to Shri Mahashraman Chalisa now!
Over 10k people are enjoying background music and other features offered by Stavan. Try them now!
Contribute to the biggest Jain's music catalog
Over 10k people from around the world contribute to creating the largest catalog of lyrics ever. How cool is that?
दान करे (Donate now)
हम पूजा, आरती, जीव दया, मंदिर निर्माण, एवं जरूरतमंदो को समय समय पर दान करते ह। आप हमसे जुड़कर इसका हिस्सा बन सकते ह।