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Shobha Nyari (Rushabh Katha)

शोभा न्यारी (ऋषभ कथा) | Shobha Nyari (Rushabh Katha)

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Lyrics of Shobha Nyari (Rushabh Katha) by Stavan.co

जन्माभिषेक

शोभा न्यारी (2) छे जनम कथा नई …


इंद्रा ने देवो ऊमट्या मेरु शिखरे तमने लई ने ..

पुत्र तमारो स्वामी अमरो जननी ने एम कही ने ..

पचि पांच रूप करि दे ने ..(2)

आशा जाएगी ..(2) साहू ने तरवानी ….

शोभा न्यारी ….


करोड़ो कलशो भेगा थई ने तेज लिसोटा ताने …,

जल भर कुम्भ लई देवो ऐ वादळ विंध्य जाने …,

बाल राजा आ वैभव माने ….(2)

इच्छा जागी …(2) चरणे ढलवाणी ….

शोभा न्यारी …


रूपेरी जल ढोढ वाचले सोनल वर्णी काया …

जालर शंख ना नाद नी वच्चे परमेश्वर तमे नाहया ..

देवो ऐ गीतों गाया ..(2)

प्रीति जागी …(2) छे सहू ने तमारी ….

शोभा न्यारी ….


सूरज -चंदा रोज जगतमा “उदय” ने अस्ट थवाना…

नाथ तमारी जनम कथाना तेज ना आठंवाना..

ऐ तो सदा अमर रहेवना …(2)

मने लागी ….(2) छे लगनी तमारी ....

शोभा न्यारी …


लगन गीत

वागे शरणाई केआ सुर रे …(2)

आखू जगत थयु चकचूर रे …

वागे…


गहेली रे थई सहू देवो नी दुनिया …(2)

ऋषभ ना रूप थी मजबूर रे ….

वागे….


सुर पति विनवे व्हाला करुणा ना क्यारा ..

वीतरागी आदिश्वर आदि करणारा …

लोको ने काज करो विवाह पहेलो…

देवो ने दानवो आतुर रे ..

वागे …..


नाभि ना लाल नामे चुनरी लाल रे ..

सिंदूर ने कंकु वली सघळुं ये लाल रे …

लचकती चाल वली कन्या नी आँख मा…

सपना ना रंगो भरपूर रे …

वागे …..


मंदवाडो बंध्यो रूड़ो विनीता ने आंगने …

नंद-सुमंगला ना हैया ने बारणे …

अग्नि नी शाखे वाली अप्सरा ना गान थी ….

“उदय” उल्लास थी मसगुल रे ….

वागे ….


राज्य -दीक्षा

राज तनी नहीं माया …. ऋषभ ने … राज तनी नहीं माया …

जन जन ना हैया मा ऋषभ …. राजा छो ने छवाय ….छवाय …

राज तनी नहीं माया …


माता कहती कल हजु तो , दिकरो पाते चढ़्यो तो ….

नाभि भूप ना कुल नो दिवो , काले राजा बन्यो तो …

परम नी केडी ऐ … एकल चल्या … मारु देवा ना जाया … .. हो जाया …

राज तनी नहीं माया …


हस्ता हस्ता कल सुधि जे …. चूमि भरती गले ….

रडता रडता ते माता ऐ तिलक कर्यु छे भले …..

जुरति त्रण त्रण नारी कहती कोने तमोने भरमाया … भरमाया

राज तनी नहीं माया


लोच कार्यो चौ मुष्टि प्रभु ऐ …. इंद्र नी विनती जानी …

वीतरागी कुंवर ने देखि … सहू नी आँखे पानी …..

चेतर ना वायरे ऋषि ना केश केवा लहराया … लहराया ..

सूर्य -“उदय ” ना समय लोको शोधे प्रभु नी छाया …छाया ..

राज तनी नहीं माया …


विहार

पगले पगले जेना उघडे छे पंथ …

ऋषभ बांया छे ऐवा संत …

सूर्य चंद्र नक्षत्र जगमगता तारा ,

पंखी कलशोर करे परमेश्वर मारा ,

जेना परछाये बार्मासि वसंत …

ऋषभ बनया छे ऐवा संत …


रेत भीना पगला ओ भक्तो सौ सूंघे ,

ध्यान मग्न चरणों मा हेत थी ऐ उँघे…

तेज ना ज़िले आँख थई जाय बंध…

ऋषभ बनया छे ऐवा संत …


सचराचर विश्व जाने हलु हलु गातु ..

विहरता स्वामी न रूप ना समतु …

पुण्य “उदय ”नो थयो भीनो सबंध …

ऋषभ बनया छे ऐवा संत …


पारणा गीत

पारणियाने काज पधारो… ओ देवाधिदेवा…

पारणियाने काज पधारो… ओ देवाधिदेवा…

विनवे झूरे झंखे लोको… प्रभु! स्वीकारो सेवा…

पारणियाने…


दिवसे झंखे राते झूरे तन-मन-धन ने देता,

ऋषभ प्रभु लेता नथी कांई एकबीजाने के’ता,

नथी समजाता राजा अमारा.. भाग्य रूठ्या छे एवा

ओ देवाधिदेवा… पारणियाने…


प्रभु तमोने शुं दईए एम रूंवे रूंवे थी गाता,

आंगण सुधी आवी स्वामी! कोरा कोरा जाता,

बारमासनां तपसी तमे पण.. हाल अमारा केवा?

ओ देवाधिदेवा… पारणियाने…


वैशाखी त्रीजे प्रभु श्रेयांस कुमारे दीठां

इक्षुरसनां घडा भरेला व्हालम जेवां मीठां

ऋषभ प्रभुए हाथ लंबाव्या शेरडी रसने लेवा

ओ देवाधिदेवा… पारणियाने…


वसुधारा वरसावे देवो वादळ जाणे वरस्या

रोग-शोक तो दूर थया जिम स्वयं प्रभुजी स्पर्श्या

‘उदय’ थयो आ पृथ्वीलोकमां जयजयकारा एवा

ओ देवाधिदेवा… पारणियाने…

साधना – केवलज्ञान

आँख ने खूने करुणा ने कृपा छे पांपणे ..

होठ ने खूने जीवन भर स्मित जोयु आपने …


अंधेरे खूने उभा जे साधना ने खेड़वा …

ते ऋषभ ने चाल भाई चाल जोवा आपने …


जे बनया पहला प्रभु पहलाज राजा ने वाली…

ते ऋषि लिबास मा पहलाज जोया आपने …


छठ अट्ठाम थी लगावी मॉस ना उपवास थी …

कर्म ने तेने तपवया ध्यान केरा तापने …


हाथ लम्वी अने उभा रहता ध्यान मा …

त्याग नी धुनि ढखवी ने जलव्या पाप ने …


सूर्य उगे ते पहला चंद्र ना “उदय ” पछि…

आ परोधे केवलज्ञानी आज जोया आपने …


देसना गीत

नाथ तमारी वाणी …. (एवी)

केवल ना सागर थी वहावी ज्ञान तनी सर्वाणि ….

(एवी)… नाथ तमारी वाणी …..


आतुर प्राण रह्या सहू जीव ना ,अबूझ प्राणी चाहे सुख शिव ना

समवसरण ना पंथ सजावे ताव जाय नाडो गगन गजवे

त्रण त्रण लोक ना हैए रमे छे प्रभु थया छे ज्ञानी …

(एवी)… नाथ तमारी वाणी …..


त्रण गढ़ ऊपर त्रिभुवन स्वामी , तन मन डोले वाचन ने पामी ,

महके फूल जिम फोरम फूटी एम ऋषभ नी वाणी छूटी,

देव – मनुष्य ने तिर्यंचो ने व्हाल करे जोई जानी

(एवी)… नाथ तमारी वाणी …..


अगन जल पर श्रवण हेली , वदनालाल पर श्रवण बेली ,

वैसाखे मल्हार नु पानी , केवलज्ञानी प्रभु नी वाणी ,

“उदय रतन ” मन मत्त बने छे , अहो अहो केवलज्ञानी

(एवी )… नाथ तमारी वाणी …..


निर्वाण

ऋषभ जी ने गांया म्हरा, हवे लग्यु पराया छे ,

पिताजी क्या जय बैठा , सवालों ऐ छवाया छे …

ऋतु आनंद नी जाँखी हती पण वेदना जागी …

प्रभु ऐ संघ शासन सांपडा अष्टापदे त्यागी …

तार्यो संसार नो सागर विभु मोक्षे सिधाव्य छे ….

पिताजी ….


नसीब छे एमनु जेओ तमारी साथ आव्या ता …

तमारो हाथ जाली ने करम जेने खपावया ता …

अभागी हूँज छू बाकी …. हजु संसार माया छे …..

पिताजी ….


भराया स्वास हैया मा भारत रोइ नथी सकता …

भयानक वेदना ऐनी कोई जोई नथी सकता…

भारत ना प्राण कण्ठे छे ने आंसू क्या छुपाया छे ….

पिताजी …


विचारे इंद्र महारजा भारत जी तरफ़ाड़े त्यारे ..

बधु शिखव्यु प्रभु जी ऐ ऋदान शिखव्यु नथी क्यारे?

अने इन्द्रे कार्यो पोकर भारत जी ने राडाव्या छे …..

पिताजी ….


उदय ” सामजी सके छे नाथ ना पगराव तनी घटना …

ह्रदय छोड़ी सके ना नथी नी भव भव सुधि रत्न …

दीधी जेने बढ़ी ओळख मने नहीं ओलख्या छे …..

पिताजी …

© Hriday Parivartan

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