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Samadhi Paath (Teri Chhatra Chhaya)

समाधि पाठ (तेरी छत्र छाया) | Samadhi Paath (Teri Chhatra Chhaya)

Roopesh Jain

Stotra

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Lyrics of Samadhi Paath (Teri Chhatra Chhaya) by Stavan.co

तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो।

मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥


जिनवाणी रसपान करूँ मैं, जिनवर को ध्याऊँ।

आर्यजनों की संगति पाऊँ, व्रत-संयम चाहू ॥

गुणीजनों के सद्गुण गाऊँ, जिनवर यह वर दो।

मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥१॥ तेरी.. ॥


परनिन्दा न मुँह से निकले, मधुर वचन बोलूँ।

हृदय तराजू पर हितकारी, सम्भाषण तौलूँ॥

आत्म-तत्त्व की रहे भावना, भाव विमल भर दो।

मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो ॥2॥ तेरी..॥


जिनशासन में प्रीति बढ़ाऊँ, मिथ्यापथ छोडूँ ।

निष्कलंक चैतन्य भावना, जिनमत से जोडूँ ॥

जन्म-जन्म में जैनधर्म, यह मिले कृपा कर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥3॥ तेरी..॥


मरण समय गुरु, पाद-मूल हो सन्त समूह रहे।

जिनालयों में जिनवाणी की, गंगा नित्य बहे॥

भव-भव में संन्यास मरण हो, नाथ हाथ धर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥4॥ तेरी..॥


बाल्यकाल से अब तक मैंने, जो सेवा की हो।

देना चाहो प्रभो! आप तो, बस इतना फल दो॥

श्वांस-श्वांस, अन्तिम श्वांसों में, णमोकार भर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥5॥ तेरी..॥


विषय कषायों को मैं त्यागूँ, तजूँ परिग्रह को।

मोक्षमार्ग पर बढ़ता जाऊँ, नाथ अनुग्रह हो॥

तन पिंजर से मुझे निकालो, सिद्धालय घर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥6॥ तेरी..॥


भद्रबाहु सम गुरु हमारे, हमें भद्रता दो।

रत्नत्रय संयम की शुचिता, हृदय सरलता दो॥

चन्द्रगुप्त सी गुरु सेवा का, पाठ हृदय भर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥7॥ तेरी..॥


अशुभ न सो चूं, अशुभ न चाहूँ, अशुभ नहीं देखूँ।

अशुभ सुनूँ ना, अशुभ कहूँ ना, अशुभ नहीं लेखूँ॥

शुभ चर्या हो, शुभ क्रिया हो, शुद्ध भाव भर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥8॥ तेरी..॥


तेरे चरण कमल द्वय, जिनवर! रहे हृदय मेरे।

मेरा हृदय रहे सदा ही, चरणों में तेरे॥

पण्डित-पण्डित मरण हो मेरा, ऐसा अवसर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥९॥ तेरी..॥


मैंने जो जो पाप किए हों, वह सब माफ करो।

खड़ा अदालत में हूँ स्वामी, अब इंसाफ करो॥

मेरे अपराधों को गुरुवर, आज क्षमा कर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥१०॥ तेरी..॥


दु:ख नाश हो, कर्म नाश हो, बोधि-लाभ वर दो।

जिन गुण से प्रभु आप भरे हो, वह मुझमें भर दो॥

यही प्रार्थना, यही भावना, पूर्ण आप कर दो।

मेरा अन्तिम मरण समाधि, तेरे दर पर हो॥११॥ तेरी..॥


तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो।

मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥

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