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Tere Panch Hue Kalyan Prabhu

तेरे पाँच हुए कल्याणक प्रभो | Tere Panch Hue Kalyan Prabhu

Ravindra Jain

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Lyrics of Tere Panch Hue Kalyan Prabhu by Stavan.co

तेरे पाँच हुए कल्याणक प्रभो, इक बार मेरा कल्याण कर दों।

अन्तर्यामी-अन्तर्ज्ञानी, प्रभु दूर मेरा अज्ञान कर दों॥ टेक॥


गर्भ समय में रत्न जो बरसें, उनमें से एक रतन नहीं चाहूँ।।

जन्म समय क्षीरोदधि जल से, इन्द्रों ने किया वो न्हवन नहीं चाहूँ।

जो चित्त को निर्मल शान्त करे, वही गन्धोदक मुझे दान कर दो… ॥१॥


धार दिगम्बर वेश किया तप, तपकर विषय विकार को त्यागा।

निर्ग्रन्थों का पथ अपनाकर, निज आतम को ही आराधा।

अपने लिए बरसों ध्यान किया, मेरी ओर थोड़ा-सा ध्यान कर लो ॥२॥


केवलज्ञान की खिल गई ज्योति, लोकालोक दिखानेवाली।

समवशरण में खिरती वाणी, सबकी समझ में आने वाली।

हे वीतराग सर्वज्ञ प्रभो, मुझे मेरा दरश आसान कर दो ॥३॥


तीर्थंकर होकर तुम प्रगटे, स्वाभाविक ही मुक्ति तुम्हारी।

सिद्धालय में बैठ प्रभु ने, शाश्वत सुख की धारा पाली।

यहाँ कौन है ऐसा तेरे सिवा, औरों को जो अपने समान कर दो।।४।।

© Ravindra Jain

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