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Veer Bhagwant Gunvant

वीर भगवंत गुणवंत | Veer Bhagwant Gunvant

Umang Bhavsar

Karunaveer Mahaveer | Stavan

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Lyrics of Veer Bhagwant Gunvant by Stavan.co

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए रे (२)

वर्षा साधा बार की

साधना करी खरी (२)

दोष सकल जो थी,

नाश पावे रे

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए रे


तप किया आ करा,

अभि ग्रहों बहुत तारा

ध्यान में प्रभुजी सदैव शोरा (२)

प्रमत्त नहीं पर तन को,

अनुभव असंग को

संगने कंचन तृण लिया

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए


मण्ड मध्य तीव्र ते

त्रिविध उपसर्ग जो

तहाँ प्रभुजी सम्भाव लीना (२)

देवता दानव तना

पशु मानव तना

क्षत में भी प्रभु प्रेम भीना

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए (२)


सर्प चण्ड खोशियो

दुष्ट ये गोवाहियो

क्रूर संगम सुर शूल पानी (२)

देवी ते कठपुतना

त्रास बहुत घना

तोए प्रभु की नज़र करुणा से भीनी

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए (२)


राग ने द्वेषना

रोष ने तोष ना

दोष ने मोह सघड़ाय नाशे (२)

एक वेश उपमा

ने पीछे अनुपमा

चार प्रतिबन्धों के क्षण पासे

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए (२)


गुप्तियों अनुत्तर

समितियों अनुत्तर

शील समान प्रभु का अनुत्तर (२)

निवारी घटी करम को

अजित धारी वीर्य को

पाए वीर जिंगान पूरा

वीर भगवान्त... गुणवन्त...

मेरे प्रभु

गाते गुणगान पाप जाए (२)

© Ajitshekharsuriji

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