Stavan
Stavan
Vinay Paath (Eh Vidhi Thado) Raag 1

विनय पाठ (इह विधि थाडो) राग 1 | Vinay Paath (Eh Vidhi Thado) Raag 1

Stotra

Listen Now
Listen Now

Lyrics of Vinay Paath (Eh Vidhi Thado) Raag 1 by Stavan.co

इह विधि ठाड़े होयके, प्रथम पढ़ें यो पाठ |

धन्य जिनेश्वर देव तुम! नाशे कर्म जु आठ ||(1)


अनंत चतुष्टय के धनी, तुम ही हो सिरताज |

मुक्ति-वधू के कंत तुम, तीन भुवन के राज ||(2)


तिहुँ जग की पीड़ा-हरन, भवदधि शोषणहार |

ज्ञायक हो तुम विश्व के, शिवसुख के कर्तार ||(3)


हर्ता अघ-अंधियार के, कर्ता धर्म-प्रकाश |

थिरतापद दातार हो, धर्ता निजगुण रास ||(4)


धर्मामृत उर जलधिसों, ज्ञानभानु तुम रूप |

तुमरे चरण-सरोज को, नावत तिहुं जग भूप ||(5)


मैं वन्दौं जिनदेव को, कर अति निर्मल भाव |

कर्मबंध के छेदने, और न कछू उपाव ||(6)


भविजन को भवकूपतैं, तुम ही काढ़नहार |

दीनदयाल अनाथपति, आतम गुणभंडार ||(7)


चिदानंद निर्मल कियो, धोय कर्मरज मैल |

सरल करी या जगत में, भविजन को शिवगैल ||(8)


तुम पदपंकज पूजतैं, विघ्न रोग टर जाय |

शत्रु मित्रता को धरै, विष निर्विषता थाय ||(9)


चक्री खगधर इंद्र-पद, मिलें आपतैं आप |

अनुक्रमकर शिवपद लहें, नेम सकल हनि पाप ||(10)


तुम बिन मैं व्याकुल भयो, जैसे जल बिन मीन |

जन्म जरा मेरी हरो, करो मोहि स्वाधीन ||(11)


पतित बहुत पावन किये, गिनती कौन करेव |

अंजन से तारे प्रभु! जय! जय! जय! जिनदेव ||(12)


थकी नाव भवदधिविषै तुम प्रभु पार करेव |

खेवटिया तुम हो प्रभु! जय! जय! जय! जिनदेव ||(13)


रागसहित जग में रुल्यो, मिले सरागी देव |

वीतराग भेंटो अबै, मेटो राग कुटेव ||(14)


कित निगोद! कित नारकी! कित तिर्यंच अज्ञान |

आज धन्य! मानुष भयो, पायो जिनवर थान ||(15)


तुमको पूजें सुरपती, अहिपति नरपति देव |

धन्य भाग्य मेरो भयो, करन लग्यो तुम सेव ||(16)


अशरण के तुम शरण हो, निराधार आधार |

मैं डूबत भवसिंधु में, खेओ लगाओ पार ||(17)


इन्द्रादिक गणपति थके, कर विनती भगवान |

अपनो विरद निहारि के, कीजै आप समान ||(18)


तुमरी नेक सुदृष्टितें, जग उतरत है पार |

हा!हा! डूबो जात हौं, नेक निहारि निकार ||(19)


जो मैं कहहूँ औरसों, तो न मिटे उर-झार |

मेरी तो तोसों बनी, तातैं करौं पुकार ||(20)


वन्दौं पांचों परमगुरु, सुरगुरु वंदत जास |

विघनहरन मंगलकरन, पूरन परम प्रकाश ||(21)


चौबीसों जिन पद नमौं, नमौं शारदा माय |

शिवमग-साधक साधु नमि, रच्यो पाठ सुखदाय ||(22)


मंगल मूर्ति परम पद, पंच धरौं नित ध्यान |

हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान |१|


मंगल जिनवर पद नमौं, मंगल अरिहन्त देव |

मंगलकारी सिद्ध पद, सो वन्दौं स्वयमेव |२|


मंगल आचारज मुनि, मंगल गुरु उवझाय |

सर्व साधु मंगल करो, वन्दौं मन वच काय |३|


मंगल सरस्वती मातका, मंगल जिनवर धर्म |

मंगल मय मंगल करो, हरो असाता कर्म |४|


या विधि मंगल से सदा, जग में मंगल होत |

मंगल नाथूराम यह, भव सागर दृढ़ पोत |५|

© Kevalgyan TV

Listen to Vinay Paath (Eh Vidhi Thado) Raag 1 now!

Over 10k people are enjoying background music and other features offered by Stavan. Try them now!

Similar Songs
Central Circle

Contribute to the biggest Jain's music catalog

Over 10k people from around the world contribute to creating the largest catalog of lyrics ever. How cool is that?

Charity Event 1Charity Event 2Charity Event 3Charity Event 3

दान करे (Donate now)

हम पूजा, आरती, जीव दया, मंदिर निर्माण, एवं जरूरतमंदो को समय समय पर दान करते ह। आप हमसे जुड़कर इसका हिस्सा बन सकते ह।