Stavan
Stavan
Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan) image 1
1
Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan) image 2
2
Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan) image 3
3
Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan) image 4
4
Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan) image 5
5

Nadol Jain Tirth, Shri Padam Prabhu Ji Jain Shwetamber Devsthan Pedhi, Nadol, Tehsil - Desuri, District - Pali (Rajasthan)

Nadol, Pali, RAJASTHAN

Temple History

छठे तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु भगवान के इस विशाल गगनचुंबी शिखरबंध मंदिर का निर्माण, राजा कुमारपाल या रजा संप्रतिसेन मौर्य ने लगभग २४०० वर्ष पहले करवाया, जो अपनी उंचाई और कोरणी-धोरनी में अधितीय है| इस मंदिर का नाम यहां के लेखो में “रायविहार” लिखा है| इसमें मुलानायक रवि प्रतिक श्री पद्मप्रभस्वामी की १३५ सें.मी. ऊँची, बदामी वर्ण, पद्मासनस्थ प्रतिमा विराजमान है| यह प्रतिमा जालोर के किले से, ५०० वर्ष पहले लाकर बिठाई गई, इसके पहले मुलनायक शांतिनाथ थे| कालांतर में वि.सं. १२२८ में महावीरस्वामी की प्रतिमा स्थापित की गई थी| इसकी प्रतिष्ठा लेख अनुसार, सं. १६८६ प्रथम आषाढ़ वदी ५, शुक्रवार के दिन, राजा गजसिंह के मंत्री जेसा के पुत्र जयमल ने, पद्मप्रभु बिंब कराया एवं तपागच्छीय विजयदेवसूरीजी ने जालोर में अपने पट्टधर आ. श्री विजयसिंह सूरीजी आदि परिवार की निश्रामे प्रतिष्ठा हुई व नाडोल नगर के रायविहार नाम मंदिर में, राणा जगतसिंहजी के शासन में यह बिंबस्थापन हुआ अंतिम प्रतिष्ठा मगसर सुदी ६ को आ. श्री समुद्रसूरीजी के हस्ते संपन्न हुई| मुलनायक के आसपास में आदिनाथ प्रभु के दोनों बिंब भी इसी संवत् के प्रतिष्ठित है| गूढ़ मंडप में दोनों तरफ, श्री शांतिनाथजी व नेमीनाथजी के खड़े काऊसाग्गीय स्थापित है, जिनके लेख अबुसार, सं. १२१५ वैशाख सुदी १०, सोमवार के दिन, विशाड़ा ग्राम के महावीरजी मंदिर से लेकर स्थापित की गई| इनकी प्रतिष्ठा बृहदगच्छीय पं. पद्मचंद्रगनी की थी| इसी मंदिर के भाग में छोटे से शिखरवाले ,मंदिर में, मू. श्री अनंतनाथजी की प्रतिमा लेख अनुसार, सं. १८९३ माघ सुदी १० बुध को प्रतिष्ठा भ. शांतिसागरजी ने की थी|एक मंदिर में श्रीगोड़ी पार्श्वनाथजी की प्रतिमा स्थापित है| मंदिर के पीछे भाग के बगीची में आदेश्वर भगवान की चरणपादुका सं. १९५१ की प्रतिष्ठित की हुई है| इस स्थान का जलमंदिर भी कहते है| मंदिर के मुखय द्वार के ऊपर कसौटी पत्थर से बने अदभूत, अखंड चौमुखा मंदी शिल्पकला का उत्कुष्ट चमत्कार| कसौटी जैसे ठोस एवं मजबूत पत्थर में की गई बारीक नक्काशी आश्चर्यचकित करती है| प्राचीन चौमुखी चार प्रतिमाए स्थापित की गई| मंदिर के ध्वज की जमीन से उंचाई १६५ फीट है| मंदिर के प्रथम प्रवेश द्वार के बाहर श्री कानजी महाराज की मूर्ति स्थापित है| यहां मंदिर के प्रवेशद्वार पर भारी पत्थर की शिला राखी हुई है, जिसे लांघकर मंदिर में प्रविष्ट होना पड़ता है| वि.सं. १९८९, जेठ सु. ६ को समारोहपूर्वक आ. श्री वल्लभसूरीजी के हस्ते इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई| आग्लोड़ वाले पू. आ. श्री आनंदघनसूरीजी के हस्ते इस मंदिर में श्री पार्श्वपद्मावती की प्रतिष्ठा संपन्न हुई| आभार : @Abhilas00090743

Temple Category

Shwetamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM - 11:30 AM

Evening Hours

Evening: 5:30 PM - 8:30 PM

Plan Your Visit

How to Reach

By Train

Train: Rani Railway Station

By Air

Air: Jodhpur Airport

Location on Map

Charity Event 1Charity Event 2Charity Event 3Charity Event 3

दान करे (Donate now)

हम पूजा, आरती, जीव दया, मंदिर निर्माण, एवं जरूरतमंदो को समय समय पर दान करते ह। आप हमसे जुड़कर इसका हिस्सा बन सकते ह।