

Shri 1008 Bhagwan Dharmnath Digamber Jain Tirth Kshetra Ratanpur Ronahi, Village- Sanaha Uparhar, District-Ayodhya (U.P.)
Sanaha Uparhar, Ayodhya, UTTAR PRADESH
Temple History
पन्द्रहवें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ भगवान की जन्मभूमि ‘‘रतनपुरी’’ तीर्थ अयोध्या के समीप वहाँ से २४ किमी. दूर है। इसके रेलवे स्टेशन का नाम ‘‘सोहावल’’ है। तीर्थ का एक नाम ‘‘रौनाही’’ भी है, इसी नाम से वर्तमान में तीर्थ की प्रसिद्धि सार्थक है। यहाँ दिगम्बर जैन के दो मंदिर हैं तथा धर्मशाला भी है। इस पवित्र भूमि पर धर्मनाथ भगवान के चार कल्याणक हुए हैं-गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान। केवलज्ञान होने के पश्चात् भगवान् का प्रथम समवसरण यहीं लगा था, उनकी प्रथम दिव्यध्वनि यहीं खिरी थी और धर्मचक्र का प्रवर्तन भी यहीं से हुआ था। पवित्र नाम की सार्थकता तीर्थंकर भगवान के जन्म में पन्द्रह माह तक रत्नवृष्टि होने से उसका ‘‘रतनपुरी’’ नाम सार्थक तो हुआ ही, एक कन्या मनोवती की दर्शन प्रतिज्ञा के कारण उस तीर्थ ने अपने नाम की प्रसिद्धि और भी पैâला दी है। हस्तिनापुर के सेठ महारथ की पुत्री मनोवती ने एक बार दिगम्बर मुनि से नियम लिया था कि ‘‘जब मैं जिनमंदिर में भगवान के समक्ष गजमोती चढ़ाकर दर्शन करूँगी, तब भोजन करूँगी। ’’ पीहर में तो उसका नियम अच्छी तरह पल गया किन्तु बल्लभपुर के सेठ हेमदत्त के पुत्र बुद्धिसेन से जब उसका विवाह हो गया, तब उसके नियम के पालने से समस्या उत्पन्न हो गई। एक बार वह पीहर गई हुई थी कि इधर ससुराल वालों ने उसके पति को घर से निकाल दिया पुनः बुद्धिसेन ने हस्तिनापुर आकर अपनी पत्नी मनोवती को एकान्त में सारा हाल बताया और दोनों अपने भाग्य की परीक्षा करने हेतु वन की ओर चल पड़ते हैं। चलते-चलते चार दिन बाद ये लोग ‘‘रतनपुरी’’ में आ गये। मनोवती बराबर उपवास करती रही और पति को कुछ भी ज्ञात न हुआ। इसी प्रकार से उसके ७ दिन उपवास में निकल गये, तब एक दिन वह प्रभु का ध्यान लगाकर प्रार्थना करने लगी-‘‘प्रभो! जब आपकी भक्ति से सम्पूर्ण मनोरथ सफल हो जाते हैं तब क्या मेरी छोटी-सी प्रतिज्ञा पूर्ण नहीं होगी?’’ कुछ देर बाद उसका पैर नीचे को धंसा और उसने शिला उठाई तो सीढ़ियों से नीचे उतरने पर उसे विशाल जिनमंदिर दिखाई दिया, वहीं पर गजमोती के पुंज देखकर मनोवती बहुत प्रसन्न हुई और उसने अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण कर आठवें दिन अन्नजल ग्रहण किया। इसके बाद उसने बुद्धिसेन से इस दैवी चमत्कार के बारे में बताया और बार-बार भगवान् की स्तुति करने लगी- ये दर्श की महिमा भी इक मिशाल हो गई।। हे नाथ! मैं गजमोतियों के पुंज चढ़ाऊँ। करके प्रतिज्ञा पूर्ण सर्वसिद्धि को पाऊँ।। इस प्रकार ‘‘दर्शन प्रतिज्ञा’’ के अचिन्त्य माहात्म्यस्वरूप मनोवती की प्रेरणा से बुद्धिसेन ने इसी ‘‘रतनपुरी’’ नगरी में एक हजार आठ शिखरों वाला विशाल मंदिर बनवाया था किन्तु वर्तमान में वहाँ उस इतिहास के कोई भी अवशेष उपलब्ध नहीं हैं, न ही वहाँ कोई जैन घर है। बस्ती में एक छोटा-सा मंदिर है जहाँ भगवान धर्मनाथ की सपेâद पाषाण की ३ पुâट ऊंची पद्मासन प्रतिमा है। जिसकी प्रतिष्ठा विक्रम सं. २००७ में हुई थी।
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM
Evening Hours
Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM
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Train: Sohwal Railway Station
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Air: Lucknow Airport
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