Stavan
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Shri 1008 Suparshvnath Digamber Jain Chota Mandir, Bansi, Tehsil-Nainwa, District - Bundi (Rajasthan)

Bansi, Bundi, RAJASTHAN

Temple History

राजस्थान प्रान्त के बूंदी जिले में अरावली पर्वत माला के समीप नैनवां तहशील में ग्राम बांसी स्थित है।         ग्राम बांसी का प्राचीन नाम बंशीनगर बताया जाता है जिसका अपभ्रंशित नाम बांसी हुआ।          1400 घरो की आबादी 5000 के लगभग आबादी वाला यह गाँव नैनवां तहशील के आदर्श कस्बे के रूप में जाना जाता है जहाँ शिक्षा ,स्वास्थ्य, पेयजल, आवागमन की समुचित व्यवस्था है। प्राकृतिक रूप से भी यह ग्राम सौन्दर्य को प्राप्त है।              यहां से 2कि. मी. पर दुगारी कस्बा है दोनों ग्रामो को एक दूसरे से जोड़कर देखा जाता है । दोनों गांवो को संयुक्त रूप से जाना जाता है। इस संदर्भ में प्राचीन लोकोकि प्रसिद्ध है -               चाल सखी तनै शहर दिखाऊ खण्ड खेराड में बांसी दुगारी               गन्ना ,बाड़, बहुत निपजै छ हल्दी खुदत के ज्यो केसर की क्यारी               नागर, सागर, बाग, बगीचा केवलन की छवि न्यारी                चाल सखी तनै शहर दिखाऊ खण्ड खेराड में बांसी दुगारी ।   उपरोक्त उक्ति से यह स्पष्ट होता है कि प्रकृति और पैदावार से यह क्षेत्र सरोबार रहा है।              इसी ग्राम बांसी में अति प्राचीन दो दिगम्बर जैन मंदिर है , एक श्री अजितनाथ जिनालय व दूसरा श्री सुपार्श्वनाथ जिनालय , जो कि बड़े मंदिर  व छोटे मंदिर के नाम से जाने जाते है। श्री अजितनाथ जिनालय को प्राचीन काल मे मल्लाशाह द्वारा निर्मित करवाया गया था। मल्लाशाह द्वारा निर्माण कराए गए 7 जिनालयो में एक बांसी ग्राम का प्राचीन अजीतनाथ जिनालय भी था जो काफी जीर्ण हो  जाने से उसकी जगह नवीनतम भव्य जिनालय निर्माणाधीन है जो जल्द ही पूरा होकर भव्यता को प्राप्त करेगा । मूलनायक अजितनाथ भगवान की प्रतिमा अति प्राचीन एवम अतिशय युक्त है । यह प्रतिमा भूगर्भ से गांव के बाहर बांडी खाली के किनारे से  प्राप्त हुई ऐसा पूर्वज बताते आ रहे है प्रतिमा 1200ईस्वी अर्थात 800 वर्ष पुरानी प्रशस्त लिखी हुई  है इसकी प्रतिष्ठा भी उस समय यहां गद्दीनशीन भट्टारक जी के सानिध्य में सम्पन हुई थी उस समय भोजन सामग्री में (मालपुआ) में कीड़े आ गए थे परंतु ज्यो ही उस समय भट्टारक जी के द्वारा णमोकार मंत्र का जाप किया स्वयमेव कीड़े गायब हो गए ।  बड़े मंदिर जी मे पांच वेदियां है जिसमे कुल 57 प्रतिमायें है । मूलनायक अजितनाथ भगवान की वेदी में कुल 13 प्रतिमाये है । चारो वेदियों में से दो में पार्श्वनाथ जी , एक मे मुनिसुव्रतनाथ जी व एक मे चंद्रप्रभु मूलनायक है। शासन देवी देवता के रूप में प्राचीन क्षेत्रपाल बाबा व पद्मावती देवी विराजमान है। मंदिर जी मे रोजाना नित्यभिषेक ,पूजन व शाम को आरती होती है।     सन 2010 में जगत पूज्य गुरुदेव 108 श्री विद्यासागर महाराज जी के परम प्रभावक शिष्य निर्यापक मुनि पुंगव 108 श्री सुधासागर महामुनिराज जी की प्रेरणा से बोली के माध्यम से नित्य शांतिधारा अनवरत जारी है जिसके अतिशय से काफी भक्तो की मनोकामना निश्चय ही पूर्ण होती है व संकटो का निवारण हो रहा है। अधिकतर शांति धारा पुण्यार्जक बाहर के भक्तों को ही प्राप्त हो रहा है  छोटे मंदिर जी मे मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ भगवान जी की प्रतिमा काफी प्राचीन है। किसी भी प्रकार की प्रशस्ति नही लिखी होने से प्राचीनता का प्रमाण लगाना काफी कठिन है परन्तु यह स्वयमेव ही सिद्ध है कि प्रतिमा अति प्राचीन है। पूर्वजो द्वारा बताया जाता है कि इस मंदिर में प्राचीन काल ने रात्रि में देव दर्शन करने आते रहते थे जिनकी घुंघुरुओ की आहट बाहर तक सुनाई देती थी तथा सफाई करने वाले मंदिर के बागवान ( माली) को 1 कलदार रुपया  चांदी का वेदी पर मिलता था तथा  सर्प के काटने पर वेदी के पास बैठने व जाप करने मात्र से ही विष दूर हो जाता था।                  बड़े मंदिर श्री अजितनाथाय जिनालय का भव्य शिलान्यास मुनि पुंगव सुधासागर महामुनिराज के द्वारा हुआ था जो जिनालय पूर्ण होने को है।                   दोनों मंदिरों का प्रबंधन एक ही जगह से एक ही कमेठी द्वारा किया जाता है।समाज मे 40 परिवार है जिसमे सरावगी, अग्रवाल, बघेरवाल सभी सम्मिलित है। इनमे किसी भी प्रकार का आपस में मतभेद व पंथवाद नही है। समाज का युवा वर्ग काफी ऊर्जावान व धार्मिक है। यहां पर महिला मण्डल भी है जिसकी वर्तमान अध्यक्ष श्री मति   अनिता जैन है। समाज का समस्त कार्य अध्यक्ष श्री रतन लाल जी जैन संभाल रहे है उनके साथ श्री देवलाल जी जैन ,अरुण जी जैन,त्रिलोक जी जैन ,सुरेश जी जैन ,ललित जी कासलीवाल के साथ साथ पूरा समाज के सभी वर्ग यथोचित सहयोग करते है। यहां पर सुपार्श्वनाथ बालक मण्डल जिसके अध्यक्ष श्री प्रफ्फुल जी जैन है ।यह बालक मण्डल काफी ज्यादा धार्मिक है ।  इस बालक मण्डल के सभी 13 सदस्य बहुत ज्यादा सकारात्मक व कार्यरत है।                  वर्ष में दशलक्षण पर्व ,महावीर जयंती,अजितनाथ जयंती बड़े ही धूम धाम से उत्साह पूर्वक मनाई जाती है । दशलक्षण पर्व पर दस दिन तक अखण्ड भक्ताम्बर पाठ होते है जो पूर्णिमा को भक्ताम्बर मण्डल विधान के साथ समापन होते है। महावीर जयंती पर श्री जी की शोभायात्रा बड़े ही धूम धाम से निकाली जाती है ।अजितनाथ जयंती पर भी मण्डल विधान , श्री जी की शोभायात्रा माघ शुदी दशमी के दिन हर वर्ष आयोजित होती है। तीनो ही कार्यक्रमो में दोनों ग्राम बांसी दुगारी का पूरा समाज सभी कार्यक्रमों व सामूहिक भोज में सम्मिलित होते है।                  महिला मण्डल द्वारा समय समय पर अनेक कार्यक्रम आयोजित होते रहते है। महासमिति द्वारा संचालित सभी कार्यक्रमो में महिला मण्डल अपनी पूरी भागीदारी निभाती हैं  और प्रदेश स्तर पर आयोजित धार्मिक प्रतियोगिता में विजेता प्रतियोगी बनकर पारितोषिक प्राप्त करती रही है।                   इसके साथ ही समाज के युवकों व बालमण्डल द्वारा शुभकामना परिवार व सुपार्श्वनाथ मण्डल नाम से घर घर प्रतिमाह मण्डल के सदस्य 1 घण्टा का भक्ताम्बर पाठ करते है।   अजितनाथ बाबा पर एक भजन भी बना हुआ है भजन का नाम बांसी में धाम बड़ा प्यारा है है जिसमे भजन गायक सम्राट श्री अक्षत जी जैन टोंक व श्री प्राशुक जी  जैन नैनवां ने अपनी मधुर आवाज दी है।                  दोनों मंदिरो में बड़े मंदिर में राजेन्द्र जी कासलीवाल,अरुण जी शाह,देवलाल जी गंगवाल , महेंद्र जी गोयल,गुलाबचंद जी गोयल व गोविंद गोयल प्रातः की दैनिक जिलाभिषेक व शांतिधारा की  क्रिया करते है। इसी प्रकार छोटे मंदिर में भी लालचन्द जी शाह व नरेंद्र जी जैन प्रातः की दैनिक जिलाभिषेक व शांतिधारा विधिवत सम्पन करवाते है दोनों मंदिरो में जलाभिषेक ही होता है। शाम की आरती में श्री सुशील जी जैन, श्री  महावीर जी गोयल , सुजल कासलीवाल व निश्छल कासलीवाल नियमित रूप से अजितनाथ भगवान की आरती प्रतिदिन करते है।                            जय जिनेन्द्र 🙏🙏 आभार : श्री बाबू लाल जी पाटोदी, नैनवा (Mobile No. – 8432728210)

Temple Category

Digamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM - 11:30 AM

Evening Hours

Evening: 5:30 PM - 8:30 PM

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How to Reach

By Train

Rail -Indergarh Railway Station

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Air - Jaipur Airport

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