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Shri 108 Mahadev Parshvnath Jain Derasar, Bhadra, Patan (Gujarat)

Bhadra, Patan, GUJARAT

Temple History

Shwetamber Jain Temple in Bhadra, Patan श्री महादेवा पार्श्वनाथ, पाटण गुजरात देवाधिदेव 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ प्रभु की श्वेत वर्ण की 23×19" की दिव्य प्रतिमा श्री महादेवा पार्श्वनाथ के नाम से सुविख्यात है। अनुपम सौंदर्य युक्त छवि के साथ अपने परम भक्तों को जीवन का अमृतपान करवाने वाले शीतल, सौम्य स्वरुप वाले महादेवा पार्श्वनाथ पद्मासन मुद्दा में विराजमान है। एतिहासिक के आधार पर प्रतिमाजी कितनी प्राचीन है, तथा महादेवा पार्श्वनाथ नाम से क्यों जानी जाती है इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलते हैं। लेकिन माना जाता है कि जो देवाधिदेव है वही महादेव है। पाटन शहर की स्थापना वि.स. 802 में हुई थी और यह चावड़ा राजाओं की राजधानी थी जिन्होंने पाटन पर शासन किया था। वे जैन थे और उन्होंने पाटन में कई मंदिर बनवाए जो आज भी प्रसिद्ध हैं। फिर चालुक्य वंश आया जिसमें सिद्धराज और महाराजा कुमारपाल जैसे कई महान राजा हुए। इस काल में जैन धर्म का विकास हुआ। लेकिन वि.स. 1356 में अलाउद्दीन के सेनापति मलिक गफ्फूर द्वारा मुस्लिम आक्रमण में शहर नष्ट कर दिया गया था। कई महान राजाओं और उनके मंत्रियों द्वारा निर्मित अधिकांश मंदिर इस आक्रमण के दौरान नष्ट कर दिए गए थे। महादेव पार्श्वनाथ का मंदिर पाटण के खेतरवासी में महादेव की शेरी में है। महादेव पार्श्वनाथ की मूर्ति बहुत प्राचीन, मनोरम और बहुत सुंदर है। मंदिर की प्राचीनता ज्ञात नहीं है।वैभवशाली, धर्म संस्कृति का गौरव पाटण संवत् 802 से धर्म ध्वजा लहरा रहा है। इस कारण महादेवा पार्श्वनाथ देरासर के प्राचीन होने में कोई संदेह नहीं है। तीन गर्भगृह वाले भव्य और शिखरबद्ध जिनालय में पूनम के चांद की तरह दमक रहे पार्श्वनाथ प्रभु मूल नायक के रुप में प्रतिष्ठित है। गर्भगृह में एक और श्री नेमीनाथ तथा दूसरी और आदिनाथ दादा विराजमान हैं। देरासर में लगभग 29 धातु की तथा पांच पाषाण प्रतिमाएं हैं। देरासर के फर्श पर दीवारों पर आकर्षक रंग, संयोजन किया हुआ है। *महादेवा पार्श्वनाथ का उल्लेख "पाटन चैत्य परिपति", 365 श्री पार्श्व जिन नाममाला में, "108 नाम गर्भित श्री पार्श्वनाथ स्तवन", "श्री पार्श्वनाथ नाममाला", "पट्टन जिनालय स्तुति" आदि में मिलता है। इस जिनालय का संदर्भ वीएस 1777 में लाधाशाह द्वारा रचित पाटन चैत्य परिपति में मिलता है। इस परिपति में शेरी का उल्लेख सुरजी माधवनी पोल के रूप में किया गया है। जैन तीर्थ सर्वसंग्रह में इस जिनालय को महादेवनी शेरी में पार्श्व जिनालय के रूप में वर्णित किया गया है। इस जिनालय का पहला उल्लेख श्री पंडित हीरालाल द्वारा रचित एक स्तुति में मिलता है। मुंबई के सांताक्रूज़ में कालीकुंड पार्श्वनाथ मंदिर में महादेव पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा है। महिमाशाली इस देरासर में राजा कुमार पाल पूजा एवं आरती का लाभ लिया करते थे ऐसी जानकारी भी मिलती है। धर्मक्षेत्र पाटण में यात्रियों की सुविधा के लिए कई धर्मशालाएं और भोजनशाला की उत्तम व्यवस्था है। जिनमें कोटावाला की धर्मशाला, अष्टपद की धर्मशाला, श्री मोहनलाल उत्तमचंद की धर्मशाला प्रसिद्ध हैं। ट्रस्ट : श्री महादेवा पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन तीर्थ, खेतरवासी,पाटण, उत्तर गुजरात, 384265, भारत। फ़ोन: 02766-225241*

Temple Category

Shwetamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM - 11:30 AM

Evening Hours

Evening: 5:30 PM - 8:30 PM

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How to Reach

By Train

Train: Patan Railway Station

By Air

Air: Sardar Vallabhbhai Patel International Airport, Ahmedabad

By Road

Patan is well connected with roads

Location on Map

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