Stavan
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Shri 108 Sogathiya Parshvnath Jain Tirth, Narlai, District - Pali (Rajasthan)

Narlai, Pali, RAJASTHAN

Temple History

Shri 108 Sogathiya Parswanath, Narlai. It is one among the 12 ancient temples in the town of Narlai. Historical temple with scenic views surrounded by hills. It located at the तलहटी (Base) of the Shri Shatrunjay Tirth, Narlai. This Ancient temple is believed to be of the 10th century of the Vikram era. This idol of Sogathiya Parshwanath which emerged from the ground is believed to be of the period of King Samprati. This temple remains locked most of the time and accessible only with keys; available at the pedhi (office) of the main temple (Shri Adinath Ji Jain Temple) accompanied by sevak. *मुलनायक:* लगभग 68 सेमी। में भगवान सोगठीया पार्श्वनाथ की उच्च श्वेतवर्णीय प्रतिमा जी पद्मासन मुद्रा में। प्रतिमा जी के सिर के ऊपर 5 फणों का एक छत्र है। *तीर्थ:* यह *नारलाई शहर में जेखल पहाड़ियों के तल पर* है। *ऐतिहासिकता:* प्राचीन काल में, *इस समृद्ध शहर को नारदपुरी, नंदकुलवती, नददुलई के नाम से जाना जाता था* वल्लभपुर आदि यह शहर जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है *नारद द्वारा स्थापित किया गया था*। पास में इस शहर की पहाड़ियों, श्री *कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न कुमार ने एक सुंदर और शानदार जिनालय जी का निर्माण कराया* इसमें स्थापित भगवान नेमिनाथ की एक प्रभावशाली प्रतिमा जी मिले। इससे इस शहर की प्राचीनता का पता चलता है। पर दूसरी पहाड़ी पर श्री आदिनाथ भगवान का जिनालय जी है। इन दोनों पहाड़ियों को शत्रुंजय के नाम से जाना जाता है (आदिनाथ भगवान) और गिरनार (नेमिनाथ भगवान)। *सोगठीया पार्श्वनाथ का जिनालय जी अति प्राचीन है*। इसे विक्रम युग की 10 वीं शताब्दी का माना जाता है। *सोगठीया पार्श्वनाथ की यह प्रतिमा जी ऐसा माना जाता है कि यह जमीन से उभरा था,* जो राजा संप्रति के काल का था। यह शहर रहा है श्री प्रेमसूरीश्वरजी, श्री जैसे कई महान आचार्यों के नक्शेकदम पर चलते हुए रामचंद्रसूरीश्वरजी, श्री कैलाशसागरसूरीश्वरजी, श्री भुवनभानुसूरीश्वरजी आदि का मेला है यहां कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है। *अन्य मंदिर:* जेखल पहाड़ियों के तल पर 7 जिनालय जी हैं, शहर में 2 जिनालय जी हैं और 2 हैं शत्रुंजय और गिरनार नामक दो पहाड़ियों पर जिनालय जी है। *कला और मूर्तिकला:* यह एक बहुत प्राचीन जिनालय जी है। प्रतिमा जी बहुत ही आकर्षक, दिव्य और है सुंदर। पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता से घिरा यहाँ का वातावरण बहुत शांत है। 🌟🌟 *एक कदम 👣 अपने महातीर्थो की और* 🌟🌟 *दिशानिर्देश:* यह जिनालय जी 25 किलोमीटर की दूरी पर है। रानी स्टेशन से और 40 कि.मी. फलना से स्टेशन। नाडोल का प्राचीन तीर्थ यहाँ से निकट है। धनेराव 13 किलोमीटर है। और मुछाला महावीर यहाँ से 16 कि.मी. बस सेवा और निजी वाहन उपलब्ध हैं। धर्मशाला और भोजनशाला की सुविधाएँ यहाँ उपलब्ध हैं। 🌼 *तीर्थ स्पर्श* 🌼 *शास्त्र:* इस जिनालय जी का उल्लेख "तीर्थमाला" में, "चैत्यपरीपाटी" में, "श्री" में किया गया है। शंखेश्वर पार्श्वनाथ छंद "," तीर्थयात्रा स्टवान "में," 135 नामगर्भित श्री पार्श्वनाथ में " स्तवन"आदि में उल्लेख है।

Temple Category

Shwetamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM

Evening Hours

Morning: 5:30 AM to Evening: 8:30 PM

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How to Reach

By Train

Train: Rani Railway Station

By Air

Air: Udaipur Airport

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