Shri Adeshwar Ji Jain Shwetamber Mandir, Ghanerao, District - Pali (Rajasthan)
Ghanerao, Pali, RAJASTHAN
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Ghanerao, Pali गोडवाड का प्रवेश द्वार फालना रेलवे स्टेशन से ३५ किमी. दूर सादडी-देसूरी मुख्य सडक पर अरावली के आंचल में कुंभलगढ की चोटी से १० किमी. दूर, सुरम्य वनस्थली में बसा है ‘घाणेराव’। यहां के ऐतिहासिक, दर्शनीय, अलौकिक, पौराणिक संगमरमर में कलाकृतियों से युक्त चमत्कारी ११ जिन मंदिर यहां की वैभवता प्रकट करते है। पोरवालों के एक मंदिर को छोड सारे मंदिरों की व्यवस्था प्राचीन महावीरजी पेढी संभालती है। राणकपुर तीर्थ के निर्माता धरणाशाह के वंशज में उनकी चौदहवीं पंद्रहवीं पीढी भी आज घाणेराव में निवास करती है। छोडा तीर्थ की व्यवस्था घाणेराव पेढी देखती है। श्री आदेश्वरजी मंदिर : घाणेराव नगर का यह सबसे प्राचीन जिनमंदिर है। मुख्य बाजार में रावले से लगकर विशाल परिसर में भव्य शिखरबंध इस जिनप्रासाद में अति प्राचीन प्रथम तीर्थंकर दादा आदेश्वर भगवान की ३० इंची श्वेतवर्णी सुदंर प्रतिमा प्रतिष्ठित है। कहते हैं यह मंदिर करीब १००० वर्ष प्राचीन राजा कुमारपाल के समय का बना है। जैन तीर्थ सर्वसंग्रह ग्रंथ के अनुसार, श्री संघ ने इसे १५वीं शताब्दी में बनवाया, लेकिन कला व शिल्प से १२वीं शताब्दी का होना लिखा हैं। पाषाण की ४४ व धातु की १२ प्रतिमाएं होना भी दर्शाया है। समय-समय पर जीर्णोद्धार होते रहे। एक पगलिया पर सं. १९६७ वै. सु. ६ गुरुवार का लेख, प्रभु के पास धर्मनाथजी पर स. २०२४ वै सु. चंद्रे आ. श्री हिमाचलसूरिजी हस्ते प्रतिष्ठा-लेख, शांतिनाथजी प्रतिमा पर सं. २०३८ वै सु. ३ के लेख प्राप्त होते हैं। मंदिर में शिलालेख के अनुसार, इसकी प्रतिष्ठा वि. सं. २०३५, वै. सु. १४ रविवार को मेवाड केसरी के करकमलों से होने और ३०वीं वर्षगांठ पर वि. स. २०६५ में वै. कृ. ३ बुधवार को पू. श्री विद्यानंदविजयजी गणईवर्य हस्ते श्री नाकोडा भैरवदेव चक्रेश्वरी माता के प्रतिष्ठित करने का उल्लेख है। बाद में मूलनायक को यथावत अचल रखकर, इस मंदिर का संपूर्ण जीर्णोद्धार करवाया गया। ई. सन् १९९३ में आ. श्री प्रेमसूरिजी का श्रीरूंध विनती पर चातुर्मास हुआ व प्रतिष्ठा की विनती हुई। आ. श्री ने वि. सं २०५० वैशाख सु. १३, सोमवार दि. २३ मई १९९४ को सभी उत्थापित प्राचीन प्रतिमाओ एवम बाहर से लाई नूतन प्रतिमाओं को पुनः धूमधाम से प्रतिष्ठा की। महोत्सव के बीच आ. श्री का ३६वां आचार्य पदारोहण दि. १७ मई १९९४ को विशेष रूप से मनाया गया। मंदिर परिसर के प्रांगण में दादावाडी बनी है। चार देहरियों में त्रिगडे प्रतिष्ठित हैं व नीचे भोयरे में भी प्रतिमाएं हैं।
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Falna Railway Station
By Air
Air: Udaipur Airport
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