






Shri Adinath Jain Shwetamber Derasar, Dholera Tirth, Bhavnagar - Pipali Highway, Dholera, District - Ahmedabad (Gujarat)
Dholera, Ahmedabad, GUJARAT
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Dholera, Ahmedabad श्री धोलेरा तीर्थ मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान धोलेरा अहमदाबाद से 100 किमी दूर स्थित है। यहां मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान का 210 वर्ष से अधिक पुराना जिनालय है। पलिताना के नौ टूंक में से एक - मोतीशा टूंक का श्री मोतीशा सेठ ने सुंदर और भव्य जिनालय का निर्माण कराया था। सेठ से प्रेरित होकर, उनके मुनीम श्री वीरचंदभाई शाह को अपने गृहनगर धोलेरा में एक ऐसा ही सुंदर और भव्य देरासर बनाने की इच्छा हुई। इस संबंध में उनके द्वारा रखे गये प्रस्ताव को धोलेरा संघ ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मानचित्र एवं योजनाएँ बन गये। पालीताणा के उक्त जिनालय की मानचित्र योजना बनाने वाले मूर्तिकार भी स्वयं ही थे। बाद में इसकी शुभारंभ हो गया और कुछ ही समय में भव्य जिनालय बनकर तैयार हो गया। 210 वर्ष से भी अधिक पुराने इस त्रिशिखरी भव्य जिनालय में मूलनायक श्री ऋषभदेव की प्रतिमा है। अलौकिक दिव्यता का दर्शन होते ही भक्त भाव विभोर हो जाते हैं। इसके अलावा इस जिनालय में मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान, श्री अजितनाथ भगवान और श्री महावीर स्वामी भी विराजमान हैं। जिनालय का वार्षिकोत्सव पौष सूद 7 को है। जिनालय के निकट गुरुवर्य श्री बुद्धिसागरजी महाराज एवं घंटाकर्ण देव का स्थान भी दर्शनीय है। जिनालय के चौक में विराजमान श्री चकेश्वरी माताजी के चमत्कारों का अनुभव आज की पीढ़ी भी अनुभव कर चुकी है। ऐसा कहा जाता है की उपाश्रय में स्थिरता करने वाले पूज्य साधु साध्वी भगवंत जिनालय से निकलने वाले वाद्ययंत्रों की अलौकिक मधुर सुरावली को सुनी है। प्रतिदिन शाम को आरती के समय मोर और मोरनी का एक जोड़ा जिनालय के शिखर पर आकर बैठ जाता है। पूरी रात शिखर पर बिताने के बाद सुबह की प्रक्षाल विधि पूरी होते ही दोनों उड़ जाते है। यह क्रम वर्षों से चला आ रहा है। चाहे सर्दी हो, गर्मी हो, मूसलाधार बारिश हो या तूफ़ानी तूफ़ान हो, ये मयूर महाराज सदैव अपने नियत समय पर शिखर की शोभा बढ़ाने आते हैं। अनंत की यात्रा पर निकलने से पहले मोर अपनी नई पीढ़ी से यही क्रम बनाए रखने को कहता है। आज, मोरों की कई पीढ़ियाँ आईं और चली गईं लेकिन उनका शिखर पे बिराजने का क्रम कायम है। यह क्रम हमाने यहाँ लगभग 80 से 100 वर्षों से देखा है। संवत 2032 में चार लाख रुपये की लागत से इस प्राचीन जिनालय का जीर्णोद्धार कराया गया। उस समय चारों मूर्तियां मुख्य द्वार के ऊपर बने चौमुखी जिनालय में प्रतिष्ठित थीं। अन्य देवताओं को मुख्य जिनालय के रंगमंडप में संगमरमर के गोख बनाकर पुनः विराजमान किया गया। संवत 2050 तक चले इन कार्यों में दो लाख रुपये की लागत से साध्वियों के उपाश्रय का जीर्णोद्धार भी किया गया। संवत 2058 में गुजरात में आये भूकंप से देरासर में भारी क्षति हुई। देरासर के शिखर का ऊपरी हिस्सा और साइड पेडल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस समय वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष श्री वसंतभाई गांधी ने कई घरो में घूम कर और महाराज साहब से मुलाकात कर के पैसों के लिए गुहार की तथा बहुत बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार कराया। चूंकि धोलेरा भावनगर तारापुर के तटीय राजमार्ग (कोस्टल हाईवे) पर स्थित है, यह तीर्थयात्रियों और साधु साध्वीजी भगवंतों के लिए मुंबई, सूरत, वडोदरा के माध्यम से पालीताना तक पहुंचने का सबसे आसान और छोटा मार्ग था। यह वडोदरा से पालीताना तक 40 किमी के विहार को कम करता है। तो लगभग साधु साध्वीजी भगवंत के विहार में चार दिन बच जाते है। कार्तिक सुद पूर्णिमा से आषाढ़ सुद 14 तक लगभग 1500 से 2000 साधु साध्वीजी भगवंत यहाँ दर्शन करते हुए विहार करते है। धोलेरा तीर्थ में धर्मशाला और भोजनशाला की सुन्दर व्यवस्था है। साधु-साध्वीजी के लिए सुन्दर उपाश्रय हैं। भाता खाता कायम के लिए खुला रखा गया है। अहमदाबाद से पालीताना जाते समय धोलका के पास यह तीर्थ आया है। यह तीर्थस्थल अहमदाबाद से 100 किमी दूर है। धोलका श्री कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान तीर्थ से 67 किमी दूर है। वटामाण से 43 किमी दूर है। धंधूका से 28 किमी दूर है। पता श्री धोलेरा जैन तीर्थ सेठ श्री आनंदजी कल्याणजी की पीढ़ी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ धोलेरा जिला अहमदाबाद गुजरात प्रबंधक श्री दिलीपभाई 7572851206 ट्रस्टी श्री वसंतभाई गांधी 9869820516
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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Train: Ahmedabad Railway Station
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It is well connected with roads
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