






Shri Bhadereshwar Shwetamber Jain Tirth, Bhadreshwar, District - Kachchh (Gujarat)
Bhadreshwar, Kachchh, GUJARAT
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Bhadreshwar, Kachchh श्री भद्रेश्वर महातीर्थ २००१ में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भी कच्छ ने अपनी विशिष्ट संस्कृति को बनाए रखा है। कच्छ जिले के मुंद्रा तालुका में प्राचीन नगरी – भद्रेश्वर स्थित है। इस नगरी का पुराना नाम भद्रावती था। इस नगरी में भव्य इतिहास वाला दिव्य, मनोहर, विशाल, परमप्रभावक श्री भद्रेश्वर महातीर्थ स्थित है। महाभारत में वर्णित भद्रावती नगरी यही भद्रावती है और कहा जाता है कि पांडवों द्वारा अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा यहीं बांधा गया था। आज से २५०० वर्ष पहले और वर्तमान चौबीसी के तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी भगवान के निर्वाण के २२ वर्ष बाद भद्रावती के देवचंद श्रावक ने इस भव्य तीर्थ की आधारशिला रखी थी। श्री महावीर स्वामी भगवान के निर्वाण के ४५ वर्ष बाद परम पूज्य श्री कपिलकेवली मुनिवर से मूलनायक श्री शामलिया पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिष्ठा करवाई थी। इस प्राचीन मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु के इस महातीर्थ का १०८ पार्श्वनाथ तीर्थों में समावेश होता है। सेठ वर्धमान शाह ने संवत १६८२ में जीर्णोद्धार के समय मूलनायक के रूप में श्री महावीर स्वामी भगवान की श्वेतवर्ण ६१ से.मी. की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करवाई थी। प्राचीन मूलनायक श्री शामलिया पार्श्वनाथ भगवान की देरासर के पिछले भाग में देरी नंबर २५ में प्रतिष्ठा करवाई थी। श्री शामलिया पार्श्वनाथ भगवान के बाजू में दो काऊसगिया प्रतिमाजी भी स्थित हैं। भमती की एक देरी में श्री महाकाली देवी का कल्प सुवर्ण युक्त पट्ट तथा मूर्ति है। श्री चक्रेश्वरीदेवी, श्री ऋषिकेशदेव और श्री सरस्वतीदेवी की मूर्तियाँ हैं। तथा अचलगच्छाधिपति दादा साहब श्री कल्याणसागर सूरिश्वरजी की पादुकाएँ हैं। मूलनायक के रंगमंडप के शिलालेख के ऊपर श्री महावीर भगवान के अधिष्ठायक देव-देवी श्री मातंगयक्ष तथा श्री सिद्द्रायिकादेवी के गोखले हैं। भूकंप के बाद नवीनीकरण होकर यह विशाल ५२ जिनालय तीर्थ स्थापत्य का उत्तम उदाहरण है। श्री विजय सेठ - विजया सेठानी ब्रह्मचारी दंपति विजय सेठ-विजया सेठानी ने भद्रेश्वर तीर्थ की प्रथम प्रतिष्ठा के समय श्री कपिलकेवली मुनिवर से भागवती दीक्षा अंगीकार की थी। सेठ जगडुशाह: श्री भद्रेश्वर महातीर्थ का नौवां जीर्णोद्धार दानवीर सेठ जगडुशाह ने संवत १३१२ में करवाया था। भद्रेश्वर तीर्थ में प्रवेश करने से पहले सेठ जगडुशाह के महल के खंडहर देखने को मिलते हैं। जहाँ सेठ जगडुशाह अपने परिवार के साथ रहते थे। श्री भद्रेश्वर तीर्थ में स्थित अन्य देरासर / मंदिर: (१) श्री पायचंदगच्छ का गुरुमंदिर "श्री पार्श्वचंद्रसूरिजी गुरुमंदिर"। (२) श्री खरतरगच्छ का गुरुमंदिर - श्री जिनदत्तसूरिश्वरजी गुरुमंदिर' स्थित है। जिसमें श्री जिनदत्तसूरिश्वरजी दादा की भव्य मूर्ति है तथा उनके जीवन के प्रसंग चित्रित हैं। (३) श्री तपगच्छ का गुरुमंदिर : श्री जीतविजयजी गुरुमंदिर' स्थित है जिसमें श्री जीतविजयजी दादा की मूर्ति है। विशाल सुविधा वाली धर्मशाला तथा ब्लॉक स्थित हैं। उपाश्रय तथा भोजनशाला की सुविधा है। इस तीर्थ का प्रबंधन सेठ वर्धमान कल्याणजी ट्रस्ट संभालता है।
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By Train
Train: Adipur Junction Railway Station
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Air: Bhuj Airport
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