Shri BhayBhanjan Parshvnath Jain Shwetamber Mandir, Bhinmal, District - Jalor (Rajasthan)
Bhinmal, Jalor, RAJASTHAN
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Bhinmal, Jalor पद्मासन मुद्रा में मुलनायक श्री भयभंजन पार्श्वनाथ प्रभु की अद्भुत , अद्वितीय प्रतिमा जी है! पंचधातु से निर्मित प्रभु की प्रतिमा जी अत्यन्त प्रभावशाली है! यह राजस्थान के भीनमाल शहर में है! राजस्थान प्राचीन समय से ही मन्दिरो की नगरी रही है! एतिहासिकता: राजस्थान की प्राचीन राजधानी का मुख्य नगर यह भीनमाल एक समय खूब प्रसिद्ध था। यह नगर किसने बसाया था, उसका निश्चित इतिहास उपलब्ध नहीं है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसका नाम सतयुग में श्रीमाल, त्रेतायुग ने रत्नमाल, द्वापर युग में पुष्पमाल व कलियुग में भीनमाल है। श्रीमाल व भीनमाल नाम लोकप्रसिद्ध रहे। इस नगरी का अनेक बार उत्थान-पतन हुआ। एक जैन मंदिर के खण्डहर में वि.सं. 1333 का शिलालेख मिला है, जिसमे बताया है की श्री महावीर भगवान यहाँ विचरे थे। विक्रम की पहली शताब्दी में आचार्य श्री वज्रस्वामी के भी श्रीमाल (भीनमाल) तरफ विहार करने के उल्लेख मिलते है। भीनमाल के राजा देशल ने जब धनाध्यो को किले में बसने की अनुमति दी, तब अन्य लोग असंतुष्ट होकर देशल के पुत्र जयचन्द्र के साथ वि.सं. २२३ में ओसियाँ जाकर बसे थे! किसी जमाने में इस नगरी का घेराव 64 की.मी. था! किले के 84 दरवाजे थे, उनमे 84 करोडपति श्रावकों के, 64 श्रीमाल ब्रह्मानो के व 8 प्रगवट ब्रहामणों के घर थे! सैकड़ो शिखरबंध मंदिरों से यह नगरी रमणीय बनि हुई थी! श्री जिनदासगणी द्वारा वि.सं. 733 में रचित “निशीथचुरनी” में सातवी, आठवी शताब्दी पूर्व से यह नगर खूब समृधिशाली रहने का उल्लेख है! • सातवी शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक प्राय: सारे प्रभावशाली आचार्य भगवन्तो ने यहाँ पदार्पन करके इस शहर को पवित्र व रमणीय बनाया है, व अनेक अनमोल जैन साहित्यों की रचना करके अमूल्य सामग्री बनकर विश्व को नयी प्रेरणा दे रहा है। पौराणिक कथाओं में भी इस नगरी को भारी महत्त्व दिया है। भगवान श्री महावीर यहाँ विचरे थे, ऐसा उल्लेख मिलता है। पहली शताब्दी में आचार्य श्री वज्र स्वामी यहाँ दर्शनार्थ पधारे थे। श्री उहड़ मंत्री व राजकुमार सुन्दर ने यहीं से जाकर ओसियाँ नगरी बसायी थी। “शिशुपालवध महाकाव्य” के रचियता कवी श्री माघ की जन्मभूमि यही है। सं. 992 में सिद्धशिर गणी ने ” उपमिति भव प्रपंचा कथा” का सर्जन यहीं पर किया था! विमलशाह मंत्री के पूर्वज यहीं पर रहते थे। श्रीमाली वंश की उत्पत्ति यहि हुई थी। भीनमाल के सूबा को प्रतिमाजी प्रगट होने की बात का पता चला , उस समय जालोर में गजनीखान का राज्य था, सूबे ने गजनीखान को यह बात कही , राजा ने उस प्रतिमा को तोड़कर घंट बनाने का निश्चय किया, उसने वह प्रतिमाजी अपने पास मंगवा ली! इससे समग्र जैन संघ चिंतातुर बना! लोगों ने राजा को समझाने की कोशिश की, राजा टस से मस न हुआ! श्रद्धा संपन्न श्रावकों ने अनेक प्रकार के अभिगृह किए, वीरचंद श्रेष्ठी ने अन्न त्याग का अभिग्रह किया , श्रेष्ठी की दृद्दष्ट से अधिष्ठायक देव प्रगट हुए। परंतु सत्ता के नशे में चकचुर गज्निखान प्रतिमा देने के लिए तैयार नहीं हुआ। उसने सोनी को बुलाकर मूर्ति में से नवसेरा हार व घोड़े के गले के घंघुरे बनाने का आदेश दे दिया। राजा के उपदेश से सोनी ने जैसे ही प्रतिमा तोड़ने का प्रयास किया, उसी समय सैकड़ो भौरों के गुंजन से वातावरण भयजनक बन गया , आकाश में भयंकर बादाल छा गए ,सैन्य पर अदृश्य प्रहार होने लगे ,हाथी-घोडो का संहार होने लगा , अनेक सैनिक मरने लगे। प्रजाजन भी राजा प्रतिमाजी छोड़ देने के लिए समझाने लगे , अचानक गजनिखान नीचे गिर पड़ा , उसके देह में असाहय पीड़ा होने लगी , अत्यंत त्रस्त बने राजा ने प्रतिमा जी देने के लिए सम्मति दे दी , राजा ने सिंहासन पर प्रतिमा जी स्थापित कर बहुमान पूर्वक उसकी पूजा स्तुति की और प्रतिमा जी संघ को सौप दी। आनंद उत्साह के साथ संघ द्वारा वह प्रतिमा जी भीनमाल लाइ गई और बड़े उत्साह के साथ उसका प्रवेश कराया , सभी ने अपने अभिग्रह के पारणे किए! गजनीखान के झूठी सलाह देने वाले भीनमाल के दृष्ट हाकिम के पांचो पुत्र एक साथ मर गए। सं. १६६२ में वर्जंग श्रेष्टि ने नवचौकी व प्रदक्षिणा युक्त भव्य मंदिर बनाया। राजा के भय से मुक्ति दिलाने के कारण यह प्रतिमाजी भयभंजन के नाम से प्रसिद्ध हl प्राचीन समय से ही भीनमाल व इसके आस पास के क्षेत्र में कई जैन देरासर जी थे , और आज भी है! व्यवस्था यहां धर्मशाला और भोजशाला सुविधाएं उपलब्ध हैं। जैनियों का बहुमूल्य खजाना ज्ञान भंडार भी यहां है। भीनमाल का रेलवे स्टेशन 1 किमी की दूरी पर है , ट्रस्ट श्री भयभंजन पार्श्वनाथ श्वेतांबर जैन ट्रस्ट, Hathiyon ki pole , पोस्ट: भीनमाल , जिला: जालोर, राज्य: राजस्थान -343 029, भारत। फोन: 02969-22119
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Marwar Bhinmal Railway Station
By Air
Air: Jodhpur Airport
By Road
The town is well connected with roads
Location on Map
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