Shri Digamber Jain Bada Mandir, Maithil Para, Durg (Chhattisgarh)
Maithil Para, Durg, CHHATTISGARH
Temple History
छत्तीसगढ़ राज्य में स्तिथ पावन धर्म नगरी दुर्ग में बड़ा मन्दिर में विराजमान श्री अतिशयकारी ४०० वर्ष पुरानी श्री १००८ मूलनायक सुमातिनाथ भगवान, जिनके अतिशय से मात्र एक वेदी का छोटा सा मन्दिर आज पूरे राज्य का सबसे बड़ा मन्दिर बनगया है एवम पूरे राज्य में इसे दुर्ग बड़ा मन्दिर से विख्यात होगया है। केवल इतना ही अतिशय नहीं..समय आजसे १०० वर्ष पूर्व जब मन्दिर का विस्तार होरहा था तब एक मानस्तंब की भी स्थापना हुई और जैसे ही स्थापना हुई देवो में भी हर्शो उल्लास आग्या एवं अतिशायकरी सुमतिनथ भगवान के अतिशय से स्थापना उपरांत देवो द्वारा चंदन कि वर्षा हुईं। इसके साथ ही मन्दिर में चौबीसी सहित आठ वेदिया है जिसमें प्रथम वेदी के मुलनायाक श्री अतिशयकारि श्री १००८ सुमतीनाथ भगवान , द्वितीय वेदी के मुलनायक श्री १००८ सुपार्श्वनाथ भगवान , तृतीय वेदी के मुलनायक श्री १००८ चंद्रप्रभु भगवान , चतुर्थ वेदी के मुलनायक श्री १००८ नेमीनाथ भगवान , पंचम वेदी के मुलनायक श्री १००८ महावीर भगवान , छत्वे वेदी के मुलनायक श्री बाहुबली भगवान , सातवे वेदी में पद्मासन चौबीसी एवम खड्गासन में मुलनायक श्री १००८ पार्श्वनाथ श्री १००८ चंद्रप्रभु भगवान एवम श्री १००८ शांतिनाथ भगवान इसके अलावा मानस्तंब में चारो दिशा में विराजमान श्री १००८ आदिनाथ भगवान एवम मन्दिर के शिखर में चारो दिशाओं में विराजमान है श्री १००८ आदिनाथ भगवान ,श्री १००८ चंद्रप्रभु भगवान,श्री १००८ शांतिनाथ भगवान,श्री १००८ महावीर भगवान। विगत वर्ष ही मन्दिर जी का ऐतिहसिक शताब्दी महोत्सव मनाया गया था जिसका शीला लेख इस प्रकार है ॥ श्री सुमति नाथाय नमः॥ जैनेन्द्रं धर्मचक्र प्रभवतु सततं सर्व सौख्य प्रदायि शताब्दी महोत्सव कार्तिक सुदी १५ सं.१९५५- कार्तिक सुदी १५ सं.२०५५ श्री दिगम्बर जैन मंदिर जी की स्थापना कार्तिक सुदी १५सं.१९५५ को हुई थी। सर्वप्रथम कांच की वेदी का निर्माण हुआ। जिसमें मूलनायक भगवान सुमतिनाथ की सातिशय प्रतिमा जो ४00 वर्ष पुरानी है, ९00 वर्ष पूर्व आज ही के दिन विराजित की गई थी। इन सौ वर्षों में पंचकल्याणक महोत्सवों के द्वारा क्रमशः मनदिर जी का विस्तार होता गया। आज इस भव्य जिनालय में सातिशय मनास्तंभ, भगवान महावीर स्वामी की भव्य पद्मासन मूर्ति भगवान बाहुबली की मनोहर प्रतिमा एवम छत्तीसगढ़ अचल की भव्य प्रथम चौबीसी के सहज दर्शन होते है। हमारे महान पुण्योदय से विगत १00 वर्षों के इतिहास में देश के महान संतो की आचार्यों का मुनि महाराजों का पावन व्ायोग हमारे समाज को प्राप्त जिनकी अमृत वाणी के प्रभाव से हमारी कुछ बहनों ने जैसे कुंथुमती माता धरममती माता जी उज्जवला मतीमाता जी, दुर्लभमती माताजी ने आर्यिका दीक्षा ग्रहण कर दुर्ग नगर का नाम देश के इतिहास में गौरव किया है। शताब्दी वर्ष का भव्य आयोजन संत शिरोमणि आचार्य सन श्री ०८ विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री १०८ विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ के पावन निश्रा में अत्यंत उत्साह व उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। II महासाहू महासाहू महासाहू दिगम्बरा॥ || व त्वचा हजज जावण्णों मुनि संगमो॥ मिति कार्तिक सुदी १५ संवत २०५५ दिनांक ४/११/९८ श्री सकल दिगमबर जैन समाज,दुर्ग अध्यक्ष: श्री सुभाष बाकलीवाल मंत्री: श्री संदीप जैन आभार: श्री अक्षत पाटनी
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Durg Railway Station
By Air
Airport: Swami Vivekanand Airport, Raipur (54 Km)
By Road
It is the headquarters of Durg District and is well connected with roads
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