




Shri Digamber Jain Mandir, Janakpuri- Jyoti Nagar, Imli Phatak, Jaipur (Rajasthan)
Jaipur, Jaipur, RAJASTHAN
Temple History
दिगम्बर जैन मंदिर जनकपुरी वर्ष 1980 में एक छोटे से कमरे 15 x 16 वर्ग फीट के चैत्यालय से आरम्भ होकर आज 10,000 वर्गफुट का भव्य दुमंजिला मंदिर और तीन मंजिला शान्तिसागर संयम भवन राजस्थान में आस्था और श्रध्दा का अद्वितीय केंद्र बन गया हैं | जयपुर आने वाला प्रत्येक श्रावक धार्मिक और अध्यात्मिक आस्था के इस जनकपुरी जैन मंदिर में मूलनायक नेमिनाथ भगवान् की अतिशयकारी प्रतिमा जी के दर्शन कर अपने जीवन को सौभाग्यशाली मानता हैं | जनकपुरी-ज्योतिनगर मंदिर की स्थापना 39 वर्ष पूर्व 1 अक्टूबर 1978 को मंदिर के लिए भूमि क्रय की गयी | वर्ष 1978 में जनकपुरी-ज्योतिनगर जैन मंदिर की नींव का मुहूर्त फूलचंद शाह के कर कमलो से हुआ | 17 जुलाई 1980 को समाजसेवी भौरी लाल छाबड़ा, सनत चाँदवाड़, प्रेमचंद चाँदवाड़, हीरालाल सोगानी, हुकुमचंद, राजमल पांड्या, सूरजमल सोगानी, कैलाशचंद ठोलिया मंदिर के पहले अध्यक्ष श्री श्रीरामजी जैन सचिव अशोक छाबड़ा के साथ प्रतिष्ठाचार्य पण्डित निर्मल कुमार जी बोहरा के सानिथ्य में मूलनायक नेमिनाथ भगवान् की प्रतिमा एवं चौबीसी को बोरडी के रास्ते स्थित प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर पटोदियान से लाकर इस’ मंदिर में वेदी प्रतिष्ठा करायी थी | जनकपुरी-ज्योतिनगर जैन मंदिर का क्रमिक विकास जनकपुरी का स्वरुप उस समय ऐसा नहीं था | मंदिर के वयोवृद्ध श्रद्धालु सनत चाँदवाड़ बताते हैं की उस समय केवल 10 घर थे | हम स्वयं मंदिर की पूजा प्रक्षाल से लेकर सफाई... निर्माण श्रमदान किया करते थे | तत्पश्चात मूलनायक भगवान् नेमिनाथ के दायीं ओर भगवान् पार्श्वनाथ और बायीं ओर भगवान् महावीर स्वामी की वेदियों का निर्माण हुआ | यह वेदी प्रतिष्ठा समाजसेवी नवरतनमल शाह ने करवाई | इसके पश्चात भगवान् आदिनाथ, शांतिनाथ, मुनिसुव्रतनाथ, बाहुबली जी सहित 24 भगवान् की मूर्तियों की प्रतिष्ठा हुई | मंदिर में सभी धार्मिक आयोजन, स्वाध्याय, विधान, धार्मिक कक्षाएँ और देव शास्त्र गुरु की भक्ति आगम के अनुसार की जाती हैं | इस मंदिर में टोंक फाटक उपनगर की जनकपुरी प्रथम एवं द्वितीय, अर्जुनपुरी, गणेश नगर, फ्रेंड्स कॉलोनी, शिवा कॉलोनी, नटराज नगर, जे पी कॉलोनी, चित्रगुप्त नगर, लवकुश नगर प्रथम, भगवती नगर, विजय नगर कॉलोनी, कृष्णा नगर के श्रद्धालू भक्ति भाव से नियमित पूजा अर्चना दर्शन व स्वाध्याय करने आते है | 1990 में मंदिरजी में नवीन वेदी, गुम्बज, तलघर का निर्माण कराया गया और 6 जुलाई 1992 को वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव में नवीन वेदी के साथ मूलनायक भगवान् नेमिनाथ, भगवान् आदिनाथ, भगवान् पार्श्वनाथ, भगवान् महावीर स्वामी की प्रतिमा विराजमान की गयी | तत्पश्चात समाजसेवी नवरतनमल शाह के सहयोग से नवीन वेदी का निर्माण कराया गया और 21 जून 1999 को वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव में भगवान् पार्श्वनाथ, भगवान् चन्द्रप्रभु, भगवान् पद्मप्रभु व शान्तिनाथ भगवान् को विराजमान किया गया | सर्वधातु की भगवान् बाहुबलीजी व सिद्ध भगवान् की प्रतिमाएं ज्ञान चंद जैन व सूरजमल सोगानी द्वारा प्रतिष्ठित करवाकर 13 फ़रवरी 2000 को स्थापित की गयी | 13 मार्च 2003 को मंदिरजी से सटा हुआ भूखण्ड संख्या 71 खरीदा गया जिसे संयम भवन का नाम दिया गया | इस तरह अब मंदिर 69, 70 एवं 71 के विशाल भूभाग पैर निर्मित हो गया था | मंदिर जी में नवीन वेदियों एवं स्वर्ण की चित्रकारी का कार्य वर्ष 2009 में सम्पन्न हुआ | एक वेदी का निर्माण एवं भगवान् महावीर स्वामी की पाषाण प्रतिमा नवरतनमल शाह द्वारा भेंट की गई एवं भगवान् मुनिसुव्रतनाथ की पाषाण प्रतिमा राजकुमार बाकलीवाल की और से मंदिर जी में लायी गई | आर्यिका कीर्तिमती माताजी एवं पण्डित विमल कुमार बनेठा के सानिध्य में वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव 15 जून 2009 को सम्पन्न हुआ | इसी महोत्सव में सुशील कुमार अजमेरा की ओर से लायी गयी क्षेत्रपाल की प्रतिमा एवं समाज की ओर से पदमावती माता की मूर्तियों को बाहर की ओर स्थापित किया गया | मंदिर में एक वेदी में जिनवाणी की स्थापना की गयी | इस प्रकार मंदिर में 13 प्रतिमाएं एवं दो चौबीसी है | मंदिर जी से जुड़े निजी भवन को दिनांक 13 मार्च 2003 को क्रय कर मुनिश्री नामिसागर जी के सानिध्य में संयम भवन के नाम से लोकार्पित किया गया | सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम 1959 के तहत यह मंदिर देवस्थान विभाग, राजस्थान सरकार में 12 अप्रैल 1999 को रजिस्ट्रीकृत कराया गया | सभी आचार्य ... मुनिश्री ... माताजी का जनकपुरी-ज्योतिनगर मंदिर के श्रद्धालुओं को आशीर्वाद जनकपुरी मंदिर में जैन धर्म के लगभग सभी बड़े आचार्य मुनिमहाराज एवं माताजी ससंघ विराजमान रहे है | इनमे आचार्य वसुनन्दीजी, वर्धमानसागर जी, पुष्पदंतजी, विरागसागर जी, सिद्धसेनजी, प्रज्ञासागर जी, मुनिश्री धवलसागर जी , सुधासागर जी, तरुणसागर जी, पुलकसागर जी, अमित सागर जी, शशांकसागर जी, आर्यिका गुरुनन्दिनी माताजी, आर्यिका विशाश्री माताजी ससंघ, प्रज्ञमति माताजी एवं वर्तमान में गौरवमती माताजी ससंघ विराजमान हैं | मंदिरजी में श्री शिखरचंद जैन के सानिध्य में नियमित शास्त्र स्वाध्याय होता है | सुबह शान्तिधारा, पूजा अर्चना व सांयकाल आरती में श्रद्धालु पूर्ण भक्ति भाव से भाग लेते है | मनिदिर में पुस्तकालय एवं वाचनालय में जिसमे चारों अनुयोगो के शास्त्र व पूजा अर्चना की पुस्तकें बड़ी संख्या में है | मंदिरजी में श्रुत भण्डार की स्थापना डा. प्रतिभा बहिन जी के द्वारा जो वर्तमान में आर्यिका गरिमामती माताजी के नाम से विख्यात है, के द्वारा की गयी है | इनमे चारों अनुयोगो के ग्रंथ दर्शनार्थ एवं पूजा के लिए रखे गए हैं | मंदिर जी में मूलनायक भगवान् के समक्ष अखण्ड ज्योति दशकों से निरंतर प्रज्जवलित हो रही है | 3 सितम्बर 1999 से पार्श्वनाथ जैन मेडिकल सोसाइटी के सौजन्य से औषधदानपात्र की स्थापना की गयी है जिसमे अनुपयोगी दवाईयाँ संग्रहित की जाती है | इसके साथ ही जैन औषधालय की स्थापना श्री रमेशचन्द्र साखुनिया के कर कमलों से उनके निवास पर की गयी है जिसमे वैध दीपक जैन अपनी सेवाएँ दे रहे है | जैन बालक बालिका संस्कार कार्यक्रम वर्ष 2004 से निरंतर आयोजित किया जा रहा है जिसमे नयी पीढ़ी के 100-110 बच्चों को जिनाभिषेक व जिनपूजा सिखाई जाती है | मंदिर में बुद्धिप्रकाश छाबड़ा के नेतृत्व में स्थापित युवा मंच द्वारा 15 वर्षो से धार्मिक प्रश्नोत्तरी आयोजित की जाती है और वार्षिक कार्यक्रम के रूप में प्रतिवर्ष पदमपुरा पदयात्रा का आयोजन किया जाता है और 6 से 11 कक्षा तक प्रथम एवं द्वितीय स्थान लाने वालों को सम्मानित किया जाता है | विभिन्न संतो का चातुर्मास वर्ष 2008 में आचार्य सन्मतिसागर महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिका लक्ष्मीभूषण माताजी ससंघ का चातुर्मास सानन्द सम्पन्न हुआ | वर्ष 2011 में ऐलाचर्या वसुनन्दी महाराज की सुयोग्य शिष्या आर्यिका गुरुनन्दिनी माताजी, ब्रहांनन्दिनी माताजी, नन्दिनी जी एवं पद्मनन्दिनी माताजी ससंघ का 3 जुलाई 2011 को मंगल प्रवेश हुआ और विधिपूर्वक चातुर्मास सम्पन्न हुआ | आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ का 1 अगस्त 2015 को चातुर्मास स्थापना के पश्चात् मंदिरजी में पूजा अर्चना स्वाध्याय करने वाले श्रद्धालुओं का तातां सा लगा रहता है | आचार्य शान्तिसागर संयम भवन मंदिर में साधु संतो के लिए पहले कोई संत भवन नहीं था | साधु-संतो को मंदिर के भूतल में विराजमान रहना होता था | आर्यिका गुरुनन्दिनी माताजी के चातुर्मास के समय उनकी प्रेरणा से मंदिर जी के सामने संयम भवन बनाने के लिए 300 वर्गगज जमीन खरीदी गयी और मुनिश्री सिद्धसेन जी के सानिध्य में दिनांक 25 मई 2013 को नींव का मुहूर्त समाजसेवी नवरतनमल शाह एवं परिवार द्वारा सम्पन्न किया गया एवं 20 मई 2014 को आचार्य वर्धमान सागर जी के सानिध्य में इस तीन मंजिला संयम भवन एवं छात्रावास का लोकार्पण हुआ | आज यह लगभग 10000 वर्ग क्षेत्रफल में निर्मित यह आचार्य शान्तिसागर संयम भवन साधु-संतों के लिए आदर्श साधना स्थल हैं | एक प्रवचन हाल, 5 कमरे प्रथम तल पर एवं उच्च शिक्षा के लिए बाहर से आने वाली छात्राओं के लिए सुसज्जित 7 कमरे बनायें गये है | अब तक 155 घर हो गये है अब आर्यिका गौरवमती माताजी ससंघ की प्रेरणा से मंदिर के भवन के प्रथम तल का निर्माण हुआ और माताजी की प्रेरणा से ही भव्य सहस्त्रकूट जिनालय स्थापित किया गया है |
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
Plan Your Visit
How to Reach
Location on Map
Nearby Temples in Jaipur
Shri Digamber Jain Atishay Shetra, Shri Parshwanat...
Khania Ji
Shri 1008 Shri Adinath Digamber Jain Mandir Atisha...
Bhusawar
Shri Adinath Digamber Jain Mandir, Malpura, Distri...
Malpura
Shri Digamber Jain Mandir, Chandsen, District - To...
Chandsen
Explore More Temples




दान करे (Donate now)
हम पूजा, आरती, जीव दया, मंदिर निर्माण, एवं जरूरतमंदो को समय समय पर दान करते ह। आप हमसे जुड़कर इसका हिस्सा बन सकते ह।