Shri Jagvallabh Parshvnath Jain Derasar, Nishapole, Kalupur, Ahmedabad (Gujarat)
Kalupur, Ahmedabad, GUJARAT
Temple History
जगवल्लभ पार्श्वनाथ ( संवत 1659 ) निशापोल , अहमदाबाद श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान का जिनालय प्राचीन है। यह जिनालय रिलीफ रोड पर झवेरीवाड के पास निशापोल में आया हुआ है। निशापोल का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। जिसमे ' निशा पाटक ' नाम से उल्लेख मिलता है। जिनालय के नीचे के भाग में अंदर दो मंज़िल के भोयरे बने हए है । ऊपर के भाग में प्रवेश करते ही दो गंभारे आते है। जैन तीर्थ संग्रह में पंडित अंबालाल प्रेमचंद यह जिनालय की नोंध में लिखते है कि , यह जिनालय संवत 1600 की आसपास श्री संघ ने बनाया है। ऊपरी भाग में मूलनायक श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ की सहस्त्रफन वाले कार्योत्सर्ग एक असाधारण भव्य प्रतिमा है। दोनों चरणों को एक मनुष्य या देव पाँव को पकड़ कर रखा हो ऐसा लगता है। शिल्पकृति में और मूर्तिविद्या की शास्त्रीय दृष्टि से यह प्रतिमा का मिलना मुश्किल है। दूसरे गर्भगृह में श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान की छोटी श्यामल प्रतिमा नक्काशीदार परिकर में पद्मासन में बिराजमान है। यह प्रतिमा की सामने हाथी पर धातु की एक जिन प्रतिमा शोभयामान है। यह तीनों प्रतिमा कलाविद्या की अत्यंत ही बेमीशाल प्रतिमाए है। अजितनाथ भगवान का गर्भगृह भी आया हुआ है। नीचे गहरे भोयरे में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ की सफेद पाषाण की 6 फीट बड़ी पद्मासनस्थ प्रतिमा प्रतिष्ठित है। परिक्रमा के साथ यह प्रतिमा की मुख मुद्रा में से निर्मल हास्य बह रहा हो और भक्तो के हृदय को हर्षोल्लास से पूर्ण बना देती है। पद्मासन की कोतरणी नमूनेदार है। यह प्रतिमा संवत 1659 में प्रतिष्ठित करने का लेख प्रतिमा पर है। पहले इसके दर्शन करने के लिये एक सोनामहोर देनी पड़ती थी ऐसी किंवदंती प्रचलित है। संवत 1662 में " ललितसागर की चैत्य परिपार्टी " में भोयरे में जगवल्लभ जिनालय का उल्लेख मिलता है। भोयरे में आदिनाथ भगवान की प्रतिमा बहुत विशाल है। पद्मासनस्थ प्रतिमा है। और उनकी ऊंचाई अन्दाज़न 81 इंच ( लगभग 6 फूट से ज्यादा ) है। यह जिनालय शेठ शांतिदास झवेरी के वंशज शेठ खुशालचंद ने संवत 1800 की आसपास बनाया था। सरसपुर के चिंतामणी पार्श्वनाथ के जिनालय का नाश संवत 1700 की आसपास हुआ था। और वो ही समय प्रतिमायो को उत्थापित की गई थी। उन्ही में से 1 प्रतिमा जगवल्लभ के जिनालय में भोयरे में रखी गई थी ऐसा उल्लेखों अनेक ग्रंथो में मिलता है। यह आदिनाथ भगवान के भोयरे में उतरने के लिये अलग सीढ़ी बनाई गई थी जिसे बंध कर दिया गया है। आज भी वह सीढ़ी देख सकते है। जगवल्लभ जिनालय और आदिनाथ जिनालय के दोनों भोयरो के जोड़ दिया गया है । जगवल्लभ जिनालय की रचना में अनेक छोटे बड़े अनेक फेरफार किये गये है। चिंतामणी पार्श्वनाथ और सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ के जिनालय की छत में लकड़े की कोतरणी उनके प्राचीन स्वरूप की गौरव गाथा का गुंजन कर रही है। ऊपरी भाग में श्री पद्मावती देवी की प्रतिमा बिराजमान है। नवनिर्मित दर्शन मंडप में पंच धातु की श्री सहस्त्रकूट श्री शत्रुंजय तीर्थावतार एवं श्री गौतम स्वामी की प्रतिमा बिराजमान है। ऊपरी भाग के रंग मंडप की छत में लकड़े की सुंदर कोतरणी एवं पुतली है। आज बड़ी संख्या में श्रावको यह जिनालय में दर्शन पूजा का लाभ लेते है। ' गुजरात का पाटनगर अहमदाबाद ' ग्रंथ में 666 नंबर के पृष्ठ पर उल्लेख किया गया है कि , निशापोल के पास श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ का पुराना मंदिर है। यह मंदिर के निर्माण में 75000 रूपयों का खर्च हुआ था। ग्रथ में यह नोंध असल ' बोम्बे गैजेट ' मे प्रकाशित में से लिया गया है। संभव है कि खुशालचंद शेठ ने आदिनाथ जिनालय बांधने में जो खर्च किया होगा वो खर्च का आँकड़ा गैजेट में प्रसिद्ध हुआ होगा। जगवल्लभ पार्श्वनाथ जिनालय में आये एक लेख में संवत 1800 की साल में खुशालचंद शेठ ने आदिनाथ बिम्ब की प्रतिष्ठा भट्टारक श्री कल्याणसागरसूरि के हस्ते कराई होने का उल्लेख है। संवत 1821 में चैत्य परीपाटी में निशापोल में तीन जिनालयो का उल्लेख हुआ है। जिसमे शांतिनाथ भगवान के जिनालय का भी समावेश हुआ है। " निसाल पोले त्रिण वली सेक पाडे च्यार ढिगला पोल शांत्यजी देहरु एक उदार " संवत 1912 में रची गई चैत्य परिपार्टी में यह जिनालय का उल्लेख मिलता है। " ----- दो शांतिनाथ जिणंद जगवल्लभ जगत का स्वामी निसा पोल में अंतरजामी " संवत 1963 में जैन श्वेताम्बर की कोन्फेरन्स की डिरेक्टर में निशापोल का उल्लेख ' रतनपोल में श्री पाडा की पोल ' में समाविष्ट हुआ है। वो समय यह विस्तार में शांतिनाथ भगवान के दो जिनालय का उल्लेख मिलता है। संवत 1979 में श्री विविध पूजा संग्रह भाग 1-2-3-4 में शांतिनाथ भगवान की यह जिनालय की वर्षगांठ श्रावण वद 9 को लिखी गई है। संवत 2009 में प्रगट हुए " जैन तीर्थ सर्व संग्रह " में यह जिनालय का उल्लेख धाबाबंध तरीके हुआ है। बंधावनार श्री संघ का निर्देश हुआ है। और यह जिनालय प्राचीन होने का उल्लेख मिलता है। वहीवटदार तरीके वो समय में शेठ मोहनलाल छोटालाल नाम का निर्देश किया गया है। और वो समय एक गुरु मूर्ति होने का भी उल्लेख है। यह जिनालय में भोयरा है , परंतु कोई प्रतिमा नही है। यह जिनालय का जीणोद्धार संवत 2051 में हुआ है। जीणोद्धार में शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढी - अहमदाबाद , जीणोद्धार कमिटी , शंखेश्वर - भोयणी ट्रस्ट और निशापोल नाम का उल्लेख स्थानिक जानकारी में दर्शाया गया है । जीणोद्धार में 6 लाख से ज्यादा खर्च हुआ था। यह जिनालय संवत 1662 के पहले होने का संभव है। जगवल्लभ पार्श्वनाथ जिनालय की धजा वैशाख वद 6 चढ़ाई जाती है। श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ ( संवत 1659 ), निशापोल , कालुपुर अहमदाबाद, पीन कोड 380001 गुजरात फोन नंबर 90161 62031
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