Shri Jivit Mahaveer Swami Shwetamber Jain Tirth, Nana, District - Pali (Rajasthan)
Nana, Pali, RAJASTHAN
Temple History
श्री नाणा तीर्थाधिपति श्री जीवित महावीर स्वामी गोड़वाड़ क्षेत्र के समस्त जैन तीर्थों में नाणा गाँव का प्राचीन तीर्थ सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि जैन समाज की मान्यता के अनुसार इस जैन मंदिर में मूलनायक की प्रतिमा की स्थापना भगवान महावीर के जीवनकाल में ही हुई थी अतः यह मंदिर जीवित स्वामी के नाम से ही प्रसिद्ध है जिसका प्रमाण इस लोकवाणी से भी मिलता है - ‘‘नाणा-दियाणा-नादिया, जीवित स्वामी वांदिया।’’ इस मंदिरजी का डंड, इड़ा और पुनः प्रतिष्ठा विक्रम संवत जेठ वद ६, १९७८ में शा. हज़ारीमलजी जगनाथजी और देवीचंदजी तारचंदजी वीतरा द्वारा संपन्न हुई थी. मूलनायक-::- लगभग 120से.मी. पद्मासन मुद्रा में श्वेतवर्णीय श्री महावीर स्वामी भगवान की जीवित प्रतिमाजी है! अद्भुत , तेजस्वी वीर प्रभु की मनमोहक प्रतिमाजी के दर्शन करने से ही आत्मा को शांति सुख मिलता है! तीर्थ : यह तीर्थ नाणा गाँव में है! एतिहासिकता जहा चमत्कार भी आकर अपना मस्तक झुकाता है , ऐसा पावन तीर्थ , ऐसी अद्भुत दादा की प्रतिमा जी है! यहा की पावन भुमि वीर प्रभु के चरणों की स्पर्शना से धन्य हो गयी हैं! चंडकोशिक को तारा , ग्वाले को उगारा , इन्द्रभुति को गौतम बनाया.....अनेकों आत्माओं के तारणहारा पालनहारा जीवंतस्वामी की प्रतिमा के दर्शन कर हमे भी धन्य होना है! ऐसा माना जाता है कि यह जिनालय जी श्री महावीर भगवान के समकालीन समय का है, " नाणा ,दियाणा , नांदिया , जीवितस्वामी वांदिया" यह कहावत प्रसिद्ध है। इसका मतलब है कि नाणा , दियाणा और नांदिया , जीवित स्वामी मतलब जब प्रभु जीवंत थे अपनी वाणी से संसार के दुख हर रहे थे , सुख की दिव्य धारा बरसा रहे थे , तब की यह प्रतिमा जी यहा प्रतिष्ठित है। वि.सं. 1017 और 1659 के दौरान जिनालय जी में पाए गए शिलालेख से यह स्पष्ट होता है कि यह स्थान सदियों से समृद्धि से भरा एक बड़ा शहर रहा होगा। हालाँकि, वास्तव में नानावास की स्थापना हुई थी, यह जानना मुश्किल है। प्रतिमा समकालीन श्री महावीर भगवान को समय-समय पर यहां किए गए कई नवीनीकरणों में से एक के दौरान प्रतिस्थापित किया गया हो सकता है ,क्योंकि जिनालय जी में वर्तमान प्रतिमा जी पर शनिवार का एक शिलालेख है। विक्रम वर्ष 1505 में माघ कृष्ण 9 पाया जाता है, जिसमें कहा गया है कि उस दिन प्रतिमा जी को श्री शांतिसूरीश्वरजी के हाथों स्थापित किया गया था। यह वह स्थान है जहाँ नानक गच्छ की स्थापना की गई थी और संदर्भ यह संकेत देते हैं कि गच्छ को 12 वीं विक्रमी शताब्दी से पहले शुरू किया गया था। यह बामणवाडाजी पंच तीर्थ के तीर्थों में से एक है। नाणा के गाँव को अमरसिंह मायवीर राजा ने श्री नारायण मुथा, श्री श्री त्रिभुवन नारायण के उत्तराधिकारियों में से एक को उपहार के रूप में दिया था और मंदिर में "सहराव" नामक एक अच्छी तरह से पानी खींचने वाला उपकरण भी भेंट किया था। उस समय विक्रम वर्ष 1659 में आचार्य शान्तिसूरिजी ने भाद्रपद शुक्ला 7 की स्थापना की। यह जल खींचने का यंत्र अभी भी जैन समुदाय के नियंत्रण और अधिकार में है। आसपास के क्षेत्र में एक और जिनालय जी है। यहाँ की प्रतिमा जी मनमोहक और मुस्कुराती हुई दिखाई देती है जो तुरंत ही किसी का मन मोह लेती है। प्रतिमा जी के चारों ओर मेहराब विशेष रूप से देखने लायक हैं। यहाँ एक पत्थर की पट्टिका भी विद्यमान है, जो नंदीश्वर द्वार पर स्थित है, जिस पर विक्रम वर्ष 1274 का एक शिलालेख है। स्तुति हे जीवंत प्रभु जी मेरी आत्मा को जीवंत करना , इस काल में रह सके ऐसे बल बुद्धि देना , तप साधना करते करते मोक्ष राह पर जाना है , हे जीवंत प्रभु जी तेरा पुजन कर मुक्ति सुख को पाना है... मार्गदर्शन-::- नाणा का नजदीकी रेलवे स्टेशन जिनालय जी से 2.5 किलोमीटर दूर है जहाँ ऑटो और टैक्सी उपलब्ध हैं। बामनवाडजी से नाणा 25 किलोमीटर दूर है! सिरोही-पिंडवाड़ा रोड के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। सुविधाएँ-::- सभी सुविधाओं के साथ ठहरने के लिए यहाँ एक धर्मशाला है। ट्रस्ट-::- श्री वर्धमान श्वेतांबर जैन पेढ़ी, नाणा तीर्थ पी.ओ. नाणा - 306 504 जिला: पाली, राजस्थान दूरभाष: 02933 - 45499
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Nana Railway Station
By Air
Air: Jodhpur Airport
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