

Shri Kunthunath Swami Jain Shwetamber Mandir, Sindroo, District - Pali (Rajasthan)
Sindroo, Pali, RAJASTHAN
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Sindroo, Pali वीर प्रसूता राजस्थान प्रांत के पाली जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्र १४ पर सांडेराव से सुमेरपुर जाते समय सांडेराव से ५ किमी. बाद बायीं तरफ के फाटे से २ कि.मी. अंदर अरावली पर्वतमाला की श्रृखंला की एक छोटी सी पहाडी धवोरी भाकरी की गोद में बसा है ‘सिन्दरू’। फालना रेलवे स्टेशन से कच्चे रास्ते वाया जादरी १० कि.मी. और फालना से वाया सांडेराव हाईवे से १८ कि.मी. दूर सिन्दरू गांव की पहाडी की गोद में, भव्य त्रिशिखरी जिनप्रासाद व श्री सुविधिनाथ प्रतिमाओं की अंजनशलाका प्रतिष्ठा मेवाड़ केसरी, नाकोड़ा तिर्थोद्धारक पू. आ. श्री हिमाचलसूरिजी आ.ठा. के वरद हस्ते वीर नि. सं. २४८६, शाके १८८१, वि. सं. २०१६ माघ शुक्ल १४, गुरुवार, फरवरी १९६० को महामहोत्सव पूर्वक मारवाड के वादनवाडी गांव की प्रतिष्ठा पर भावोल्लास से संपन्न हुई थी। बाद में प्रतिष्ठा २०२४ में हुई, जिसका विवरण आगे वर्णित है। त्रिशिखरी जिनालय के मूलगंभारे में, नूतन मूलनायक श्री कुंथुनाथजी प्रतिष्ठित हैं। २०० वर्ष पहले के प्रथम मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु वर्तमान मूलनायक की दायीं तरफ तथा बायीं तरफ दूसरी बार के मूलनायक राजा संप्रतिकालीन १६वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ प्रभु की अलौकिक प्रतिमा प्रतिष्ठित है ‘जैन तीर्थ सर्वसंग्रह’ ग्रंथ के अनुसार, श्री संघ सिन्दरु ने बाजार में घर मंदिर का निर्माण करवाकर वीर नि.स. २३४५, शाके १७४०, ई. सन् १८१९, वि. सं. १८७५ में, मूलनायक श्री पार्श्वनाथ प्रभु सह पाषाण की ५ व धातु की एक प्रतिमा स्थापित करवाई। ६० वर्ष पूर्व यहां ११० जैन, एक धर्मशाला और २ उपाश्रय थे। कालांतर में श्री संघ ने जीर्ण घर मंदिर को छोड शिखरबद्ध मंदिर बनवाकर, मूलनायक के रूप में १६वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथप्रभु की राजा संप्रति कालीन अति प्राचीन मनमोहक प्रतिमा को प्रतिष्ठित किया। आ. श्री यतींद्रसूरिजी रचित पुस्तक ‘मेरी गोडवाड यात्रा’ के अनुसार ७० वर्ष पूर्व गांव सिन्दरू में मूलनायक श्री शांतिनाथजी का एक मंदिर, एक धर्मशाला व ओसवाल जैनों के २५ घर विद्यमान थे। वि. सं. २०२४ की अंतिम प्रतिष्ठा में, मूलनायक श्री शांतिनाथजी को पास के गंभारे में स्थापित कर, मूल गंभारे में स्थापित कर, मूल गंभारे में नूतन श्री कुंथुनाथजी को मूलनायक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। अंतिम प्रतिष्ठा : नूतन निर्मित त्रिशिखरी जिनालय बनकर तैयार हो चुका था। श्री संघ ने प्रतिष्ठा की तैयारियां प्रारंभ की। पू. आ. श्री शासनप्रभावक, ज्योतिष मार्तंड हिमाचलसूरिजी द्वारा प्रदत्त मुहूर्त यानि वीर नि. सं. २४९४, शाके १८८९ व वि. सं. २०२४, ज्येष्ठ सुदि ३ गुरुवार, जून १९६८ को वादनवाड़ी प्रतिष्ठा कर इन्हीं की करकमलों से अंजनशलाका की गई प्रतिमाओं की यहां धूमधाम से महोत्सवपूर्वक चतुविर्ध संघ की उपस्थिति में प्रतिष्ठा कर शिखरोपरि ध्वज-दंड-कलशारोहणादि स्थापित किए गए और तीनों शिखरों पर तीन परिवारों ने ध्वजा चढाई।
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Falna Railway Station
By Air
Air: Jodhpur Airport
Location on Map
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