Stavan
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Shri Padamprabh Swami Jain Shwetamber Mandir, Lunawa, District - Pali (Rajasthan)

Lunawa, Pali, RAJASTHAN

Temple History

Shwetamber Jain Temple in Lunawa, Pali गोडवाड़ के प्रवेशद्वार फालना रेलवे स्टेशन के पूर्व में १६ की.मी. और राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. १४ के सांडेराव से २८ कि.मी. दूर अरावली पहाडियो की तलहटी में पार्वती नदी के तट पर स्थित एक पुरातन नगर है ‘लुणावा’ जो चारो तरफ से नदियो से घिरा हुआ है। कहा जाता है की करीब ६०० वर्षो से भी अधीक समय पहले लुणावा ग़ाव एक की.मी. दूर पाहाडी के पास बसहा था। समय ने करवट ली और आज लुणावा ग़ाव वर्तमान जगह स्थित है। १०००० की कूल आबादी वाला यह नगर अरावली की तलहटी में है, जिससे यहां की  आबोहवा बड़ी खुशनुमा है।यहां जैनों के करीब ७५० घर है श्री पद्मप्रभुस्वामी मंदिर : लुणावा के महावीर चौक में जैन पेढि के पास व श्री शांतिनाथजी मंदिर के ठीक सामने श्वेत पाषण से नवनिर्मित भव्य-दीव्य द्विमंजिला, कलात्मक शिखरयूक्त जिनप्रसाद में कोशाम्बी नगरी के राजा छठे तीर्थंकर व प्राचीन मुलनायक श्री पद्मप्रभु स्वामी की अति सुंदर प्रतिमा प्रतिष्ठित है। अति प्राचीन व चमत्कारिक प्रभु प्रतिमा करीब ४०० वर्ष पूर्व पास के ग़ाव च्च्लालराईज्ज् से प्राप्त हुई थी और पिछले २०० वर्षो से यह प्रतिमा यहां पूजी जा रही है। प्राचीन शिखरबंध व विशाल मंदिर पर मुठलिया परिवार ध्वजा चढाते थे। कालांटार मंदिर के जीर्ण-शीर्ण होने पर इसे आमूल जिणोरद्वार करने का श्री संघ ने निर्णय लिआव वि.सं. २०५९, फा.सु. ७, दी. १०.३.२००३ को उथापण, वि.सं. २०५९, वै.सु. ३ रविवार, दी. ४.५.२००३ को फागणिया परिवार द्वारा भूमिपूजन वि.सं. २०५९, वै.सु. ११ सोमवार, दी. १२.५.२००३ को गोलांक परिवार द्वारा शिलान्यास होकर निर्माण कार्य दुतगति से आगे बढ़ा। जैन तीर्थ सर्वसंग्रहज्ज् के अनुसार इस शिखरबंध जिन मंदिर का निर्माण श्री संघ द्वारा सं. १७२५ के करीब हुआ था तथा पाषण की ३ व धातु की ४ प्रतिमाए विराजमान थी। परिवर्तन संसार का नियम है। प्राचीन जिन मंदिर, आमूलचूल जिणोरद्वार कृत, शिल्प कलाकृति, नयन रमय श्वेत आरस पाषण से नवनिर्मित, शिखरबंध जिनप्रसाद की पुन: प्रतिष्ठा, प्रतिष्ठा शिरोमणि आ. श्री पद्मसूरीजी आ. ठा. एवं वल्लभ समूदायवर्ती आ. श्री शांतिदूत-नित्यानंदसूरीजी आ.ठा. व चतुर्विध संघ के साथ वीर नि.सं. २५३२, शाके १९२७, विक्रम सं. २०६२, वैशाख सुदी ४, सोमवार दी.१ मई २००६ को हर्षोलास से संपन्न हुई। नूतन ९ जिनबिंबो की अंजनशलाका प्रतिष्ठा संपन्न हुई। प्रथम मंजिल पर पंचधातु की श्री चंद्ररभु स्वामी की प्रतिमा स्थापित है। इस अवसर पर वै.सु. ६, बुधवार, दी. ३.५.२००६ को, मुमुक्षु श्री मेहुलकुमार नीमसोलंकी की दीक्षा संपन्न हुई। नूतन मंदिर की ध्वजा श्री ओटरमलजी भुरमलजी गोलांक परिवार प्रतिवर्ष चढाते है। चौहटे में इष्टयकजी मंदिर है इसी भवन में पाठशाळा का संचालन है।

Temple Category

Shwetamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM - 11:30 AM

Evening Hours

Evening: 5:30 PM - 8:30 PM

Plan Your Visit

How to Reach

By Train

Train: Falna Railway Station

By Air

Air: Udaipur Airport

Location on Map

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