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Shri Shantinath Digamber Jain Mandir, Palam Gaon, New Delhi

Palam, South West Delhi, NCT OF DELHI

Temple History

Digamber Jain Mandir in Palam Gaon, New Delhi "श्री शांति नाथ दिगंबर जैन मन्दिर"' पालम गांव' दिल्ली के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण कार्य विक्रमी संवत 1265 कार्तिक सुदी पंचमी के दिन रविवार को जैसलमेर राजस्थान से आए जैसवाल जैन बंधुओ द्वारा मंदिर जी के पहले चरण गर्भगृह से शुरु करवाया गया। सोनीपत निवासी आर्यभट "भाट" के वंशज मदन लाल के रिकॉर्ड और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार सन् 805 में जैसवाल जैन के महिपति मंगलसेन के नाम पर मंगलापुरी व  1125 में इन्ही के वंशज महिपति जगपाल जिसका सुप्रसिद्ध नाम 'पालामल' था, के नाम पर पालम पड़ा। इस जिन मंदिर में सदैव दिगंबर जैन तेरहापंथी मान्यता के अनुसार जलाभिषेक और पुजन आदि क्रियाएं होती है। यह जैन मंदिर लगभग 800 वर्षो से भी अधिक प्राचीन है। बुजुर्गो के कथनानुसार मंदिर जी के नीचे तहखाना (भूगर्भ) हैं, जिसमें पहले जिनबिंब विराजमान रहें हैं। बहुत समय बाद प्राचीन मूर्तियों सहित गर्भगृह को बंद कर दिया गया और उसी जगह को ऊपर उठाकर पहली मंज़िल बनाई गई और तीन  वेदियों का निर्माण हुआ। मूल वेदी में श्री शांति नाथ भगवान, श्री कुंथुनाथ भगवान, और श्री अर्हनाथ भगवान, दाहिने तरफ वेदी में  श्री पारसनाथ और बाई तरफ वेदी में श्री महावीर भगवान की प्रतिमाएं विराजमान हैं। बीच की मूल नायक वेदी में भगवान श्रीशांतिनाथ की पद्मासन श्वेत वर्ण पाषाण की अत्यंत मनोज्ञ एवम अतिशयकारी मूल प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमा पर संवत 1546 (सन् 1401) अंकित हैं। इसका उल्लेख प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर कस्तूरीचंद कासलीवाल द्वारा लिखित पुस्तक "जैन धर्म का वृहत इतिहास" में हैं। बुजुर्गो का कहना है कि मंदिर जी में देव भी दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर जी में विद्यमान श्री शांतिनाथ भगवान की धातु की प्रतिमा विशेष अतिशयकारी है। यह प्रतिमा जिन - जिन स्थानों पर गई, वहीं पर अति शीघ्र स्थायी मंदिर जी का निर्माण हों गया। जैसे जनकपुरी, विकासपुरी, दिल्ली कैंट , द्वारका, सागरपुर, हरीनगर  आदि। मूल वेदी के ऊपर कलात्मक गोल शिखर बना हुआ है। इस श्री मन्दिर जी में हस्त लिखित शास्त्रों का अपार भंडार हैं। यहां के विद्वान संस्कृत, प्राकृत भाषा के गुणी रहें हैं। श्रावको द्वारा यहां पर शास्त्र लेखन क्रिया की जाती थीं, जो (शास्त्र)दूर दूर के मंदिरों में भी जाते थे। यहां पर सदा आचार्यों व मुनियों का आवागमन रहा है जैसे आचार्य श्री शांति सागर जी, आचार्य श्री देश भूषण जी, आचार्य विद्यासागर जी, आचार्य सन्मति सागर जी, आचार्य ज्ञान सागर जी, आचार्य श्रुत सागर जी आदि। सन् 2014 में आचार्य श्री सिद्धान्त सागर जी मुनीराज का सहसंघ चातुर्मास भी सम्पन्न हुआ। आचार्य श्री सन्मति सागर जी मुनिराज ने बताया था की मुगल शासक के समय एक जैन श्रावक दिल्ली लाल किले में महत्त्वपूर्ण पद पर कार्य करता था, और वो रोज़ाना दरबार में देरी से पहुंचता था, जब राजा ने उससे रोज़ाना दरबार में देरी से आने का कारण पूछा तो उसने बताया की वो एक सच्चा जैन श्रावक है सुबह जब तक देव दर्शन ना करें वो कुछ भी नहीं करता और उसने बताया की यहां पर नजदीक कोइ जैन मंदिर नहीं हैं, इसलिए देव दर्शन के लिऐ  उसे घोड़े पर सवार होकर रोज़ाना सुबह पालम जैन मंदिर जाना पड़ता हैं, इसलिए उसे अक्सर सुबह दरबार में देर हों जाती हैं। श्री मंदिर जी से चंद कदम की दूरी पर श्री महावीर भवन (जैन धर्मशाला )भी हैं, जिसके लिऐ जमीन स्वर्गीय श्री हरसहाय मल जी जैन जी द्वारा दान में दी गई हैं। श्री मंदिर जी के विस्तार हेतू लगभग 350 गज जमीन समाज द्वारा खरीदी गई हैं, जो श्री मंदिर जी की दीवार से सटी हुई है, उस पर निर्माण कार्य  शुरु किया जा रहा हैं।

Temple Category

Digamber Temple

Temple Timings

Morning Hours

Morning: 5:30 AM - 12:30 AM

Evening Hours

Evening:  5

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How to Reach

By Train

Metro Station : Palam (Magenta  line)

By Road

Bus Stand:Dhaula Kuan

By Metro

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