

Shri Sirohi Jain Tirth, Chomukha Jinalaya, Bagikhana, Sirohi (Rajasthan)
Bagikhana, Sirohi, RAJASTHAN
Temple History
श्री सिरोही तीर्थ राजस्थान में सिरोही को अर्ध शत्रुंजय की उपमा दी गयी है, क्योंकि वहाँ एक ही नींव पर अति प्राचीन १४ मंदिर निर्मित है, जिसमें ३ बावन जिनालय है। जैन समाज की यह अनमोल धरोहर है, सभी मूर्तियां मनोहर और मनलुभावनी हैं, इनके दर्शन मात्र से हमारा मन मयूर नाच उठता है। मंदिरजी में नक्काशी इतनी बारीक और कलात्मक है कि कई बार तो ऐसा आभास होता है कि पथ्थर पर कोरनी नहीं होकर कोई जीवित कलाकृति ही है। आबू देलवाड़ा की कलाकृति का प्रतिबिंब अगर देखना हो तो इस नगरी के इन १४ जिन मंदिरों में दृष्टिगोचर होगी। नगर में और भी १० मंदिर है। सिरोही में सुनारवाड़ा क्षेत्र में धर्मशाला, भोजनशाला और आयंबिल खाता जी समुचित व्यवस्था है। श्री ऋषभदेव भगवान चौमुखा जी 72 जिनालय तीन मंजिला जैन मंदिर , सिरोही एक श्रेष्ठी व्यापार के लिए इस क्षेत्र से गुजर रहा था उस समय इस क्षेत्र को असाधारण शुद्ध और उसके शांतिपूर्ण रुप को देख प्रसन्न हुआ फिर उन्होंने विक्रम वर्ष 1323 के शुभ दिन अर्थात आसोज सुक्ला 5 में श्री आदिनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया। एक संदर्भ मिलता है, जिसमें कहा गया है कि इस मंदिर के पूर्ण होने पर विक्रम वर्ष 1339 में आषाढ़ शुक्ल 13 को प्रतिष्ठा हुयी । इस मंदिर को आचंलगच्छ के मंदिर के रूप में जाना जाता है। विक्रम वर्ष 1499 में पन्यास श्री मेघगणी विजयजी की एक रचना "तीर्थमाला" में, यह मंदिर पूरी तरह से वर्णित है। विक्रम वर्ष 1424 कार्तिक पूर्णिमा के दिन 52 जिनालय जिसमे मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान है जिसकी प्रतिष्ठा हुयी थी । श्री ऋषभदेव भगवान चौमुखा जी 72 जिनालय तीन मंजिला जैन मंदिर सिरणवा पहाड़ी की तलहटी में सिरोही पैलेस के निकट शांत वातावरण मे बना हुआ है । कहते है यह मंदिर रणकपुर जैन मंदिर की तर्ज पर बनाया है । सिरोही के इस मंदिर में 400 खंबे है और हरेक खंबे से मानो नवकार मंत्र की धुन सुनाई दे रही है ।इस मंदिर का ढांचा खंभे पर खड़े राणकपुर के समान है। यह सिरेनवा पहाड़ियों की पश्चिमी ढलान पर स्थित है और 78 फीट ऊंचे शिखर (शिखर) द्वारा दर्शाया गया है।इस मंदिर को सिरोही से बहुत दूर से देखा जा सकता है। लगभग 500 साल पुराने इस जैन मंदिर की महिमा निराली है । इस चौमुखा जैन मंदिर में चारों दिशाओं से भगवान के दर्शन होते हैं , इस मंदिर को जब पहली , दूसरी और तीसरी मंजिल के साथ सिरोही को उंचाई से देखा ता आनंद आ गय । मुगल बादशाह अकबर को अहिंसा परमोधर्मः की बात कहने वाले संत जगद्गुरु श्री हीर विजय सूरीश्वर जी महाराज सा ने इस मंदिर मे साधना की थी और यही उनको श्री आचार्य जी की उपाधि मिली । मंदिर के नीचे बनी गुफा मे मां सरस्वती जी का मंदिर है कहते हैं जगद्गुरु आचार्य श्री हीर विजय सूरीश्वर जी महाराज सा यही बैठकर साधना करते थे । परम पू आचार्य श्री रामसूरीजी (डेहलावाला समुदाय ) ने इस मंदिर की वि.सं. २०१०मां वैशाख सुद-५ आदिनाथ चतुर्मुख जिनमंदिर बावन जिनालयनी सिरोही (राजस्थान) की प्रतिष्ठा करावी वरिष्ठ समाजसेवी श्री अमृत लाल जी सिंघी साहब ने बताया कि श्री ऋषभदेव भगवान चौमुखा 72 जिनालय तीन मंजिला जैन मंदिर भारत मे तीसरा बडा़ मंदिर है । श्री देलवाड़ा जैन मंदिर और श्री रणकपुर जैनमंदिर के बाद इस मंदिर का नाम है ।
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Sirohi Road Railway Station
By Air
Air: Udaipur Airport (108 km)
By Road
It is well connected with roads
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