Shri Sthambhan Parshvnath Jain Derasar, Kharwado, Lambi Oty, Khambhat, District - Anand (Gujarat)
Khambhat, Anand, GUJARAT
Temple History
Shwetamber Jain Temple in Khambhat, Anand श्री स्थंभन पार्श्वनाथ - खंभात इसका प्राचीन नाम त्रम्बावती नगरी था| जैन शास्त्रनुसार इस प्रभाविक प्रभु प्रतिमा का इतिहास बहुत पुराना है| बीसवे तीर्थंकर के काल से लेकर अंतिम तीर्थंकर के काल तक यहाँ अनेकों चमत्कारिक घटनाएँ घटी है| तत्पश्चात वर्षो तक प्रतिमा लुप्त रही| वि.सं. ११११ में नवांगी टिकाकर श्री अभयदेव सूरीजी ने दैविक चेतना पाकर सेडी नदी के तट पर भक्ति भाव पूर्वक जयतीहुन स्तोत्र की रचना की, जिससे अधिष्ठायक देव प्रसन्न हुए व यह अलौकिक चमत्कारी प्रतिमा वहीँ पर भूगर्भ से अनेकों भक्तगणों के सम्मुख पुन: प्रकट हुई| वर्तमान मंदिर में स्तिथ एक शिला पर उत्कीर्ण लेख के अनुसार वि.सं. ११६५ में मोढवंशीय बेला शेष्ठी की धर्मपत्नी बाई बीडदा ने श्री स्थंभन पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर का निर्माण करवाया था| वि.सं. १३६० के आसपास श्री संघ द्वारा पुन: भव्य मंदिर बनवाकर उत्साहपूर्वक प्रतिमाजी प्रतिष्टित करवाने का उल्लेख है| कालान्तर में समय समय पर अनेको जिणोरद्वार हुए| अंतिम जिणोरद्वार वि.सं १९८४ में हुआ व तीर्थोद्वारक शासन सम्राट आचार्य श्री नेमीसूरीश्वर्जी के हस्ते प्रतिष्ठा संपन्न हुई| कहा जाता है की इसी प्रतिमाजी के न्हवन जल से श्री अभयदेवसूरीजी का देह निरोग हुआ था| कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य ने वि.सं. ११५० में यहीं पर दीक्षा ग्रहण कर शिक्षा प्रारम्भ की थी| कहा जाता है की उस समय यहाँ अनेकों करोड़पति श्रावकों के घर थे उन्होंने सैकड़ो मंदिरों का निर्माण करवाया था|राजा श्री कुमारपाल के मंत्री श्री उदयन भी यहीं के थे, जिन्होंने उदयवसही नामक मंदिर का निर्माण करवाया था|वि.सं. १२७७ में यहाँ के दण्डनायक श्री वास्तुपाल ने ताद्पत्री पर ग्रन्थ लिखवाये | यहाँ पर जगदगुरु श्री हीरविजयसूरीजी, श्री सोमसुन्दरसूरीजी, श्री विजयसेनसूरीजी आदि आचार्यो ने अनेकों जिन मंदिरों की प्रतिष्ठापना करवायी तथा अनेकों जिन महत्त्वपूर्ण ग्रंथो की रचनाए की| यहाँ सोनी तेजपाल,संघवी उदयकारन, श्री गांधीकुंवरजी शेष्ठी रामजी आदि श्रावकों ने भी अनेक मंदिर बनवाये| यहाँ के दानवीर सेठ वाजिया, राजिया, श्रीराम और पर्वत आदि शेष्टीयों ने दुष्काल में अनेकों दानशालाए व भोजनशालाए खुलवाई थी| कविवर श्री रिषबदासजी की भी यही जन्मभूमि है जिन्होंने अनेकों रास ग्रंथो की रचना यही की थी| ये सारे तथ्य इस तीर्थ की प्राचीनता और महत्ता को सिद्ध करते है| प्रतिवर्ष फाल्गुण शुक्ला तृतीया को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है| यहाँ के श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान के मंदिर में भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन कलात्मक प्रतिमाए तथा अवशेष विधमान है|ऐसी कलात्मक प्राचीन प्रतिमाएँ अन्यत्र दुर्लभ है । श्री खंभात जैन श्वे. मू.जैन संघ, खारवाडो खंभात, श्री विशा ओशवाळ तपगच्छ जैन संध - माणेकचोक, खंभात - ३८८६२० फोन नं. ०२६९८-२३६९६
Temple Category
Temple Timings
Morning Hours
Morning: 5:30 AM - 11:30 AM
Evening Hours
Evening: 5:30 PM - 8:30 PM
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How to Reach
By Train
Train: Khambhat Railway Station
By Air
Air: Vadodara Airport
By Road
Khambhat is well connected with roads
Location on Map
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