छाई काली घटाएं तो क्या | Chhai Kali Ghatayen To Kya
Vaibhav Baghmar
Bhakti
Lyrics of Chhai Kali Ghatayen To Kya by Stavan.co
छाई काली घटाएं तो क्या, उसकी छत्री के नीचे हु में,
आगे आगे वो चलता मेरे, मेरे दादा के पीछे हु में।
उसने पकड़ा मेरा हाथ है, मुझको डरने की क्या बात हैं,
उसके रहते कोई क्या करे, भला किसकी क्या औकात है॥
क्यों मैं भटकु यहां से वहां, उसके चरणों में सारा जहां,
सारे मतलब के रिश्ते यहां, खुशियों का खजाना यहां।
हरदम रहता मेरे साथ हैं, मुझको डरने की क्या बात है,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है, मुझको डरने की क्या बात है,
उसके रहते कोई क्या करे, भला किसकी क्या औकात है॥
इसकी महिमा का वर्णन करूं, मेरी वाणी में वो दम नहीं,
जबसे इसका सहारा मिला, अब सताये कोई गम नहीं।
इनका सर पे मेरे हाथ हैं, मुझको डरने की क्या बात है,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है, मुझको डरने की क्या बात है,
उसके रहते कोई क्या करे, भला किसकी क्या औकात है॥
जहां लगती आनंद की झड़ी, ऐसी महफ़िल सजाता हैं ये,
हम क्यों ना दीवाने बने, ऐसे जलवे दिखाता हैं ये।
हरदम कृपा की बरसात हैं, मुझको डरने की क्या बात है,
उसने पकड़ा मेरा हाथ है, मुझको डरने की क्या बात है,
उसके रहते कोई क्या करे, भला किसकी क्या औकात है॥
© Jainguruganesh
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