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Prabhu Jagjeevan Jagbandhu Re

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे | Prabhu Jagjeevan Jagbandhu Re

Prashant Shah (Dikubhai)

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Lyrics of Prabhu Jagjeevan Jagbandhu Re by Stavan.co

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे

तारी मुद्राए मन मोह्युं रे,

जूठ न जाणो रे


तुं परमातम, तुं पुरुषोत्तम,

वाला मारा तुं परब्रह्म स्वरूपी रे

सिद्ध साधक सिद्धांत सनातन,

तुं त्रिहुं भाव प्ररूपी रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


ताहरी प्रभुता त्रिहुं जग मांहे,

पण मुज प्रभुता मोटी रे

तुज सरीखो माहरे महाराजा,

माहरे कांई नहीं खोट रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


तुं निरद्रव्य परमपद वासी,

वा० हुं तो द्रव्यनो भोगी रे

तुं निर्गुण हुं तो गुणधारी,

हुं कर्मी तुं अभोगी रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


तुं तो अरूपी ने हुं रूपी,

वा० हुं रागी तुं निरागी रे

तुं निरविष हुं तो विषधारी,

हुं संग्रही तुं त्यागी रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


ताहरे राज नथी कोई एके,

वा० चौदराज छे माहरे

माहरी लीला आगळ जोतां,

अधिकुं शुं छे ताहरे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


पण तुं मोटो ने हुं छोटो,

वा० फोगट फुल्ये शुं थाय रे

खमजो ए अपराध अमारो,

भक्ति वशे कहेवाय रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे


श्री शंखेश्वर वामानंदन,

वा० उभा ओलग कीजे

रूप विबुधनो मोहन पभणे,

चरणोनी सेवा दीजे रे

प्रभु जगजीवन जगबंधु रे,

सांई सयाणो रे

© Keva Tu Kaman Kare

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