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Sumati Jineshwar Jag Parmeshwar

सुमति जिनेसर जग परमेश्वर | Sumati Jineshwar Jag Parmeshwar

Jazim Sharma

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Lyrics of Sumati Jineshwar Jag Parmeshwar by Stavan.co

सुमति जिनेसर जग परमेश्वर

हुं खिजमत कारक तुज किंकर


साहिबा मुज दरिशन दीजे

जीवना मन महेर करीजे..

रात दिवस लीनो तुम ध्याने

दिन अतिवाहुं प्रभु गुण गाने..

जगत हितकर अंतरजामी

प्राण थकी अधिको मुज स्वामी

प्राण भम्यो बहु भव भव मांहीं

प्रभु सेवा ईण भव विण नाहीं..

ईण भवमां पण आज तुं दीठो

तिण कारण तुं प्राणथी मीठो

प्राण थकी जे अधिको प्यारो

ते पर सहु तन धन ओवारो..

अज्ञानी अज्ञानी संघाते

एहवी प्रीत करे छे घाते

देखो दीपक काज पतंग

प्राण तजे होमी निज गाते..

ज्ञान सहित प्रभु ज्ञानी साथे

तेहवी प्रीत चडे जो हाथे

तो पूरण थाए मन आश

दानविजय करे ए अरदास

© Nandprabha Palitana Official

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