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Shri Uvasaggaharam Stotra 27 Times

श्री उवासग्गहरम स्तोत्र 27 बार | Shri Uvasaggaharam Stotra 27 Times

Stotra

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Lyrics of Shri Uvasaggaharam Stotra 27 Times by Stavan.co

उवसग्ग-हरं पासं, पासं वंदामि कम्म-घण मुक्कं ।

विसहर-विस-निन्नासं, मंगल-कल्लाण-आवासं ।।१।।


विसहर-फुलिंग-मंतं, कंठे धारेइ जो सया मणुओ ।

तस्स गह-रोग-मारी, दुट्ठ जरा जंति उवसामं ।।२।।


चिट्ठउ दुरे मंतो, तुज्झ पणामो वि बहु फलो होइ ।

नर-तिरिएसु वि जीवा, पावंति न दुक्ख-दोगच्चं ।।३।।


तुह सम्मत्ते लद्धे, चिंतामणि-कप्प-पायव-ब्भहिए ।

पावंति अविग्घेणं, जीवा अयरामरं ठाणं ।।४।।


इअ संथुओ महायस! भत्ति-ब्भर-निब्भरेण हिअएण ।

ता देव! दिज्ज बोहिं, भवे भवे पास! जिण-चंद! ।।5।।

© Shrimad Rajchandra Mission Dharampur

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