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Tu Gyan Ka Sagar Hai

तू ज्ञान का सागर है | Tu Gyan Ka Sagar Hai

Adhyatmik | Stavan

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Lyrics of Tu Gyan Ka Sagar Hai by Stavan.co

तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है,

उसी आनंद के प्यासे हम,

निज ज्ञान सुधा चाखे, प्रभु अब तेरी कृपा से हम,

तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है।


विषय भोग में तन्मय होकर, खोया है जीवन वृथा,

बात प्रभु तेरी एक ना मानी, अपनी ही धुन में रहा,

जाना है किधर हमको, और आये हैं कहाँ से हम,

तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है।


आतम अनुभव अमृत तज के, पिया विषय जड का,

मोह नशे में पागल होकर, किया ना तत्व विचार,

नैया है मेरी मझधार-२, इसी से प्रभु को बुलाते हम,

तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है।


भूल रहे हैं राह वतन की, भटक रहे संसार,

भीख मांगते दर दर भ्रमते, घर में भरा है भंडार,

निजधाम हमारा है, जहां है स्वदेस यहां से हम,

तू ज्ञान का सागर है, आनंद का सागर है।

© Jainism

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