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Thanki Uttam kshama Pe

थांकी उत्तम क्षमा पै | Thanki Uttam kshama Pe

Michchhami Dukkadam | Stavan

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Lyrics of Thanki Uttam kshama Pe by Stavan.co

थांकी उत्तम क्षमा पै जी अचम्भो म्हाने आवे,

किस विधि कीने करम चकचूर ॥ टेक ॥


एक तो प्रभु तुम परम दिगम्बर, पास न तिल-तुष मात्र हुजूर ।

दूजे जीव दया के सागर, तीजे सन्तोषी भरपूर ॥१॥


चौथे प्रभु तुम हित उपदेशी, तारण तरण जगत मशहूर।

कोमल वचन सरल सद्वक्ता, निर्लोभी संयम तप सूर ॥२॥


कैसे ज्ञानावरणी नास्यौ, कैसे कर्यो अदर्शन चूर।

कैसे मोह-मल्ल तुम जीत्यो, कैसे किये घातिया दूर ॥३॥


कैसे केवलज्ञान उपायो, अन्तराय कैसे निरमूल ।

सुर-नर-मुनि सेवें चरण तुम्हारे, तो भी नहीं प्रभु तुमकू गरूर ॥४॥


करत आश अरदास नैनसुख, दीजे यह मोहे दान जरूर।

जनम-जनम पद ‘पंकज’ सेवू, और न चित कछु चाह हुजूर ॥५॥

© Stavan.co

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