अष्टापद गिरि वंदने रे | Ashtapad Giri Vandan Re
Parth Doshi
Stavan
Lyrics of Ashtapad Giri Vandan Re by Stavan.co
अष्टापद गिरि वंदने रे
रंग लाग्यो माहरी सजनी जी रे
चक्री सगरना बळवंत योद्धा
पुत्र ते साठ हजार जी रे
अष्टापद जिन वंदन चढिया
दक्षिण दिशि प्रकार
दक्षिण दिशिए श्री संभवथी
पद्मप्रभ लगे चार जी
वीतरागनां वंदन कीधां
तरवा भवजळ पार
पश्चिम दिशि सुपार्श्व प्रभुथी
अनंत प्रभु लगे आठजी
वंदन कीधा भाव भले रे
निर्युक्तिमां पाठ
उत्तर दिशि दश धर्म प्रभुथी
वर्धमान लगे वंदेजी
पूर्व दिशि दोय ऋषभ अजितने
प्रणमी मन आनंदे
पचास लाख क्रोड सागरना
पूर्वज प्रीति संभारेजी
आपणा कुळमां भरत नरेश्वर
कीधा एह विहार
धन भरतेश्वर धन मरुदेवा
धन नवाणुं भाईजी
लाभ हेतु ए सुकृत कीधा
ए आपणा पितराई
आगळ विषम काळने जाणी
तीरथ रक्षा काजेजी
योजन योजन अंतर कीधां
पगथियां आठ समाजे
धन तीरथ अष्टापद गिरिवर
धन भरतेश्वर रायाजी
दीपविजय कविराज पनोता
जे जस सुकृत कमाया
© Nandprabha Palitana Official
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