वीतराग सर्वज्ञ हितंकर (देव स्तुति) | Vitrag Sarvagya Hitankar (Dev Stuti)
Stuti
Lyrics of Vitrag Sarvagya Hitankar (Dev Stuti) by Stavan.co
वीतराग सर्वज्ञ हितंकर
भविजन की अब पूरो आस |
ज्ञान भानु का उदय करो
मम मिथ्यातम का होय विनाश ॥
जीवों की हम करुणा पाले,
झूठ वचन नहीं कहें कदा |
परधन कबहूँ न हरहूँ स्वामी,
ब्रह्मचर्य व्रत रखें सदा ॥
तृष्णा लोभ बढ़े न हमारा,
तोष सुधा निधि पिया करें |
श्री जिनधर्म हमारा प्यारा
उसकी सेवा किया करें |
दूर भगावें बुरी रीतियाँ,
सुखद रीति का करें प्रचार |
मेल-मिलाप बढ़ावे हम सब,
धर्मोन्नति का करें प्रचार ॥
सुख-दुख में हम समता धारे,
रहे अचल जिमि सदा अटल |
न्याय मार्ग का लेश न त्यागें,
वृद्धि करें निज आतम बल ॥
अष्ट करम जो दुःख हेतु हैं,
उनके क्षय का करें उपाय |
नाम आपका जपें निरन्तर,
विघ्न शोक सब ही टल जाय ॥
आतम शुद्ध हमारा होवे,
पाप मैल नहीं चढ़ें कदा |
विद्या की हो उन्नति हममें,
धर्म ज्ञान हूँ बढ़े सदा |
हाथ जोड़कर शीश नवावें,
तुमको भविजन खड़े-खड़े |
य सब पूरो आश हमारी
चरण-शरण में आन पड़े ॥
© Jinvani Channel
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