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Zarmar Stuti

जर्मर स्तुति | Zarmar Stuti

Harshit Singh Baid

Stuti

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Lyrics of Zarmar Stuti by Stavan.co

सिजा प्रभु मुज का आज सगड़ा आप दर्शन योग थी

मंगल बन्यो दिन आज मारो आप प्रेम प्रयोग थी

धरती हृदय नी नाथ मेरी आप शरण उपशमे

रत्न त्रय वरदान मांगु नाथ तुज चरणे नमी

रत्न त्रय वरदान मांगु नाथ तुज चरणे नमी


गिरु आ गुणो तुज कितला गुण सागरो ओछा पड़े

रूप लावण्य ताऱु कितलु रूप सागरो पाछा पड़े

सामर्थ्य एवु अजोड़ छे सौ शक्तियो झांखि पड़ी

तारा गुणानुवाद मा मां शारदा पाछी पड़े

तारा गुणानुवाद मा मां शारदा पाछी पड़े


झीलमिल थता दीपक तणा आज वासना परदा पड़े

हर पल अने हर क्षणे प्रभु तूं नव नवा रूपो धरे

हे विश्व मोहन निरखता अनिमेष नयन आप ने

त्रण जगत न्योछावर करूं ताऱी ऊपर था तूं मने

त्रण जगत न्योछावर करूं ताऱी ऊपर था तूं मने


मुज हृदय ना धबकार मा ताऱु रटन चाली रहु

मुज श्वास ने उच्च्वास मा ताऱु स्मरण चाली रहु

मुज नेत्र नी हर पलक मा ताऱु ज तेज रमी रहु

ने जिंदगी नी हर पडो मा प्राण तुही मुज बनी रहु

ने जिंदगी नी हर पडो मा प्राण तुही मुज बनी रहु


ना तेज हो नयने परंतु निर्विकार रहो सदा

हियये रहो ना हर्ष किंतु सद विचार रहो सदा

सौंदर्य देह ना रहो पण क्षीलकर रहो सदा

मुज स्मरण मा हे नाथ तुज परमो उपकार रहो सदा

मुज स्मरण मा हे नाथ तुज परमो उपकार रहो सदा


सुख दुःख सगड़ विसरु विभु एवी मडे भक्ति मने

सौने करुं सासन रसी एवी मडो शक्ति मने

संकैश अग्नि बुझावती मडजो अभिव्यक्ति मने

मने प्रसन्न बनावती मडजो अना शक्ति मने

मने प्रसन्न बनावती मडजो अना शक्ति मने


मळजो मने जन्मो जनम बस आपनी संगत प्रभु

रेलाय मारा जीवन मा तुज भक्ति नी रंगत प्रभु

तुज स्मरण भीन वायरो मुज आसपास वहो सदा

मुज अंग अंग नाथ तुज गुणमय सुवास वहो सदा

मुज अंग अंग नाथ तुज गुणमय सुवास वहो सदा


हु कदि भूली जाऊ तु प्रभु तु मने संभाड़ जे

हु कदि डूबी जाऊ तु प्रभु तु मने उगार जे

हु वसयो छु राग मा ने तु वसे वैराग मा

आ राग मा डूबेने भव पार तु उतार जे

आ राग मा डूबेने भव पार तु उतार जे


आराधना नी गांठ सर्खी जाये ना जोजे प्रभु

मुज भावनानो स्तोत फस्की जाये ना जोजे प्रभु

मुज श्वास ना क्यारा मही रोकु प्रभु तुज नाम ने

हे मोक्ष गामी जीव बगडी जाये ना जोजे प्रभु

हे मोक्ष गामी जीव बगडी जाये ना जोजे प्रभु


छे काल बहुत विहामणो ने पार नही कु निमित ना

छे सत्व मारु पांगण आधार एक जगमे तुम

स्वीकार छे तुज पंथ नो बसता हया विश्वास थी

हे नाथ योग क्षेम करजे सर्वदा मोह पार्श्व थी

हे नाथ योग क्षेम करजे सर्वदा मोह पार्श्व थी

© Harshit Singh Baid - NextIn

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