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Gurumaiya 2

गुरुमैया 2 | Gurumaiya 2

Jenil Nahar & Parv Jain

Diksha | Song

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Lyrics of Gurumaiya 2 by Stavan.co

गुरुवर की उंगली पकड़कर चलना है

आए भले ही कंटक - कंकर ना कभी ठलना है

अब बनेंगे मेरे बड़े गुरुजी मैया

वैरागी रंग लगत है मोरी सैया

गुरुमैया... गुरुमैया...


पंछी की तरह मुक्तगगन में उड़ना है

पवन की तरह सारे जहां मे विहरना है

यहा नही है कोई बंधन

प्रभु मेरी रक्षाबंधन

यहां हर दिन दिवाली खुशहाली है मेरे भैया

गुरुमैया... गुरुमैया...


गुरु सेवासे हरी - भरी बितेगी रतिया

गुरुचरणनको स्पर्शन से खुलेगी अखिया

अब ना कोई तमन्ना

होगा आतम घन्ना

राग समंदर के उसपार पहुंचेगी ये नैया

गुरुमैया... गुरुमैया...


अजनबी आनंद मे अब तन - मन भाया है

कल युग में भी आज हमे परमातम पाया है

पल - पल में तो खोइ

चंचल आंखे है रोई

'उदय' हुआ तकदीर का अब मेरे प्रभु खेवैया

गुरुमैया... गुरुमैया...

© Hriday Parivartan

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