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Kulpakji Sang Lagi Pritaldi (108 Jain Song Mashup)

कुल्पाकजी संग लागी प्रीतलडी (108 Jain Song Mashup) | Kulpakji Sang Lagi Pritaldi (108 Jain Song Mashup)

Parth Doshi, Parth Shah, Praveen Jain, Mokshesh Ostwal, Harshal Parakh & Jay Mohan

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Lyrics of Kulpakji Sang Lagi Pritaldi (108 Jain Song Mashup) by Stavan.co

दादा तारी यात्रा करवा,

मारु मन ललचाय, मारु मन ललचाय

तू मने आदिनाथ एक वरदान आपीदे

जेनी किंकी काली छे, ने आंख रूपाली छे

तमे आंखे कर्यु अजन, पछी जीवन्त लागे छे

अनियाली तारी आंखडी जाने कमल नी पांखडी

नीलुडी रायण तरु तले सुणासुदरी

विमलाचल जिनु वदिये कीजे ऐहनी सेवा

पीलुडा प्रभु ना पाय रे गुणमंजरी

मानु हाथे धर्म नु शिव तरु फल लेवा

आ भव मलिया मने पर भव मलजो

ऋषभ जिनंद दयाल रे मोहे लागी लगन

तने वंदन लाखों लाखों (२)

गिरिराज ना आदिनाथ मारा हैये वसो ने नाथ

आ कुलपाक तीर्थ छे मारो (२)

रहेशे मारा श्वासे आ जीवन तारु स्थान

चालों कुलपाकजी जइये, सहु भेटी पावन थइए

एकडे एक थी शरु करावे आदिधर भगवान रे

आ मारा आदिनाथजी (२)

धन्य अनन्य ए दृश्य सजाशी

तु खूब मने गमे छे आदिनाथ प्रभु

दक्षिण ना गिरिराज ने भावे कहूं हूं वंदना

मारुं हृदय प्रभु तारु मंदिर छे,

तु हृदय वसे ए मारी तकदीर छे

तारो ने मारो संबंध न्यारो

मीठों स्याद दइने ते तो मारा उघाड्या नयन

बनो मारा सारथी हो आदिनाथ जी

हवे परवडे नहीं रहेवानु तारा थी दूर

मने लइजा प्रभु तारा धाम मा

आदि जिनवर साथ तारो भवो भव मलजो मने

रोम रोम नमे रोम रोम आदिनाथ परम आधार

सिद्धगिरी ने भेटवानो भाव जाग्यो रे

गिरिवर पर बेठ्या छे आदिनाथ भगवान

ओ मारा प्रभु आदिनाथ व्हाला

मने जन्म मळ्यो ए सफल करो

हैयु धबके आंखों तरसे दादा ने मलवाने

कुलपाकजी तीर्थ की, राहें हमे बुलाये

पूजो कुलपाकजी रे (२)

सिद्धाचल गिरी नमो नमः विमलाचल गिरी नमो नमः

शत्रुंजय गिरी नमो नमः वंदन हो गिरिराज ने

मरुदेवा ना नंद प्रभु आदि जिनंद (२)

तू त्रिभुवन सुखकार, ऋषभ जिन (२)

सामु जुओने मारी सामु जुओने,

एक वार दादा मारी सामु जुओने

आदि जिनंद भेट्या आनंद आज मारे

हे प्रभु आदिनाथ खूब चाहु तने

पखिडा तु उडीने जाजे अष्टापद रे

मारी आंखों मां आदिनाथ आवजो रे

दादा ने तु जइने कहेजे दर्शन आपे रे

हु तो पापण ना पुण्ये वधावु

अखियाँ हरखन लागी

आ तीर्थ तो प्राण थी प्यारु छे

सघलुं तने सोंपी दिधु आदिधर भगवान रे

अमे अमारा ऋषभजी ने सोना थी सजाविशु

ऊंचा अम्बर थी आवो ने प्रभुजी

क्यारे मलशे मुजने आदि जिणंद

ऋषभजी शोभे केवा आबुजी ना धाम मा (२)

मारे तो करवानी, करवानी छे यात्रा (२)

तमे मन मूकीने वरस्या

तारा द्वारे थी बोलावजो मारा व्हाला आदिनाथ

अमे जनम जनम ना तरस्या

तु रंगाइ जा ने रंग मा

दादा आदेश्वर जी हो दादा आदेश्वर जी

दूर थी आव्यो दादा दर्शन थी

माता मरुदेवी ना नंद (२)

देखि तारी मूर्ति मारु मन लोभाणु जी

नमो आदीश्वरम युगादि जिनेश्वरम

मारा हृदय नो एक ज नाद,

जय आदिनाथ जय जय आदिनाथ (२)

जय जय जय श्री आदिनाथ (४)

जब कोई नहीं आता, मेरे दादा आते है

ओ मारा आदेश्वर भगवान तमारु रूप भुलावे भान

सिद्धाचल नो वासी प्यारो लागे मोरा राजेन्द्र

शत्रुंजय गढ ना वासी रे मुजने माणजो रे

एक बार मुखडु बतावो आदिनाथ जी

ज्या तमारा मुख ना दर्शन थाय छे

ऋषभजी आव्या पूर्व नक्खाणु वास (२)

कुलपाकजी ना राजदुल्हारा गुणला गावुं आज तमारा (२)

बोल बोल आदेश्वर व्हाला कहूं धारो मर्जी रे

व्हाला आदिनाथ मैं तो पकड्यो तारो हाथ

नमो अन्तयीमी नमो ऋषभ स्वामी

देवो पण कुलपाकजी तीर्थ नो,

जय जयकार करे (२)

कुलपाकजी नो जय जयकार,

आदेश्वर नो जय जयकार

कुलपाकजी ने वंदन, माणेक स्वामी ने वंदन

ओ पालनहारे हस्तगिरि वाले

आवजो मन मंदिरिये (२)

वंदन, आदि जिनंद ने कहूं हूं वंदन

आ कुलपाकजी नी छे पावनता

कुलपाकजी ना शिखरों ने वंदन

वंदन करुं वंदन आदेश्वर व्हाला

कुलपाकजी समो तीर्थ नहीं,

ऋषभ समो नहीं देव रे

आनंद रंग ऋषभ संग अनहद उमंग उपजायो

ऋषभजी क्यारे मलशे हो क्यारे क्यारे मलशे

आ कुलपाकजी नी गरिमा छे

माणेक स्वामी नी महिमा छे

व्हालम जी मारा (३) धजा नो करो तैयारी

आंगण उत्सव बनो आवो ऋषभजी (२)

कुलपाक संग लगी प्रीतलडी (४)

ऐ कुलपाकजी ने भेटि रह्या,

रोमे रोमे कुलपाक गूंजे इससे श्वाशे श्वाशे.,

जैवन्तु देदीप्यमान आ मारा आदिनाथ नु धाम छे

शुभं भव: श्रेयो भव: मंगलं भव: कल्याणं भव: (1)

इहा मोक्ष गया कई कोटि रे, आदिश्वर अलबेलो।

अमने पण आशा मोटी रे, आदिश्वर अलबेलो रे

श्रद्धा सवगे भयॉ रे, आदिश्वर अलबेलो रे

श्रद्धा विण कुण इहा आवे रे, आदिश्वर अलबेलो रे

जाणे दर्शन अमृत पीवों रे, आदिश्वर अलबेलो रे।

गिरीवर मारो थास, आदिनाथ मारो विश्वास (२)

कृपामजी तारा नाम, उज छे नवी सवार

मारो मूज़रो ल्यो ने राज साहिब आदि जिनेंद्र जी

कृपा कड़ें भव क्रोड ना, कर्म खपावे तेह

आज मारा कृपामजी सामू जुओने (२)

सयथवार छे एक मारो, आधार छे एक बस

आगमन तारु आगमन (२)

वण भुवन मां अक्वल तीर्थ गिरि शंभुजय महान (२)

चालो जड़ये कुलपाक (२)

माणेक स्वामी ना धाम, चालो जड़ये कुलपाक

यहाँ बार बार आना (४)

© Rajpath Diksha

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