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Anand Bhayo 16 Swapna Fal Pradarshan (Hindi)

आनंद भयो 16 स्वप्ना फल प्रदर्शन (हिंदी) | Anand Bhayo 16 Swapna Fal Pradarshan (Hindi)

Parth Doshi

Janam Kalyanak | Song

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Lyrics of Anand Bhayo 16 Swapna Fal Pradarshan (Hindi) by Stavan.co

सोल स्वप्न शुभ देखे मंगल नयन महल के द्वार

सुख निंद्रा से जागे माता मन में हर्ष अपार

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


माता पूछे महाराजा से दिव्य स्वप्नों का क्या फल

इन सपनों का अर्थ बताओ क्या होगा मंगल

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


प्रथम सुभग ऐरावत गरजे, गरजे मेघ समान

पुत्र हमारा पराक्रमी निडर व बुद्धिमान

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


दूसरे सपने वृषभ देखा उन्नत व सुविशाल

कर्मभूमि के जीवों हेतु खोले मोक्ष के द्वार

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


तीसरे केसरी सिंह को देखा पराक्रमी अपार

मोक्षमार्ग प्रकाश करे व निर्भयता ही सार

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


चतुर्थ सपने सिंहासन पर लक्ष्मी रुप प्रगटाय

अनंत चतुष्टय से स्वामी इस जग में शोभाये

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


पंचम मंगलकारी माला चित्त को हर्षाये

पुत्र अलौकिक सुर-इंद्रो के वंदन से शोभाये

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


छठवें सपने चंद्र सुनहरा तारक जगमग रातें

चंद्र समान शीतलता व करे आत्म की बातें

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


सप्तम सपने पूर्ण दिवाकर प्रगटे नभ आकाश

मोह तिमिर को दूर भगाये अद्भुत दिव्यप्रकाश

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


अष्टम सपने स्वर्णकलश में जलराशी भर जाय

गुणरुपी रत्नों का स्वामी पुत्र त्रिजग वंदाय

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


नवमें मीन युगल सागर में क्रीडा करते आज

सुख संपत्ति भोगेगा यह बालक करेगा राज

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


दसवें सपने रम्य सरोवर कमल पुष्प से पूर्ण

सरवर जैसी समता और शांति जैसा सूर

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


दर्पण जैसा सागर निर्मल उन्नत उठे तरंग

त्रिभुवनपति के दिव्यज्ञान में सर्वज्ञता का रंग

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


मणिजडित सिंहासन देखा स्वर्णमयी सुखकार

बल-बुद्धि से सर्व जगत का प्रभु करें उद्धार

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


स्वप्न तेरवें नभ में देखा दिव्य देवविमान

स्वर्ग से अवतरित होगा देव करें सम्मान

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


स्वप्न चौदहवें धरती में से प्रगटा नागभवन

अवधिज्ञान से भरा-भरा है प्यारा जगनंदन

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


पंदरहवें सपने में देखी रत्न भरी शुभ राशी

मोक्ष महल का मार्ग बतावे दर्शन-ज्ञान प्रकाशी

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


सोलहवें सपने निर्धूम अग्नि प्रज्ज्वलित वर्धाये

अष्टकर्म का नाश करे अरु निर्विकारी बन जाय

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


अन्तिम उच्च वृषभ सुवर्णमय मुख में करे प्रवेश

सोल स्वप्न का अर्थ जानकर हर्षे सारा देश

आनन्द भयो, आनन्द भयो…


|| दोहा ||

धर्मतीर्थ के रथ का प्रवर्तक तीर्थंकर कुल में उपजाय

तीर्थंकर की माता बनुं मैं जगजन देते पुण्य बधाय

तीर्थंकर के शुभागमन की मंगल बेला आय

धन्य जीव और धन्य मात है जगजन देते बधाय

जगजन देते बधाय… जगजन देते बधाय…

© Kanjiswami Songadh

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